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गौर सिटी के अपार्टमेंट में फ्लेट मालिक और दलाल के कारण किरायेदार को भारी नुकसान ।


ग्रेटर नोएडा वेस्ट / / दिल्ली एन सी आर में बड़ी बड़ी कंपनियों के जॉब एवं अन्य रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा के कारण देश के अन्य प्रांतों से लोग यहां आकर किराए से रहते हैं । किराए के मकान फ्लेट देखने के लिए मैजिक ब्रिक्स, हाउसिंग, ओएलएक्स, नो ब्रोकर जैसे एप पर सर्च करते हैं, इन ऐप्स पर फ्लेट ऑनर और ब्रोकर भी ऑनर बनकर खाली फ्लेट के फोटो वीडियो डाल देते हैं और सर्च करने वालों के नंबर जैसे ही इन्हें मिलते हैं, ये उनसे संपर्क कर उन्हें फ्लेट देखने के लिए बुलाते हैं, जो ऑनर अपने फ्लेट किराए से देना चाहते हैं ये दलाल उनसे भी संपर्क कर उनके फ्लेट के लिए किराएदार ढूंढने की डील कर लेते हैं । दलाल दोनों से ही आधे महीने का किराया अपने कमीशन के तौर पर लेते हैं । किरायेदार को फ्लेट पसंद आने पर उसकी आईडी एवं आधार आदि लेकर रेंट एग्रीमेंट और पुलिस वेरिफिकेशन के कागज तैयार करने के नाम पर किरायेदार से 1000 रुपए तक ले लेते हैं । रेंट एग्रीमेंट 11 महीने का ही बनवाते हैं जिसमें आगे समय बढ़ने पर 10 प्रतिशत किराए की राशि में वृद्धि करने की शर्त भी होती है । रेंट एग्रीमेंट की सभी शर्तें फ्लेट के ऑनर के लाभ की होती हैं । फ्लेट अपार्टमेंट की एसोसिएशन भी सिक्योरिटी और एंट्री के पैसे डिपोजिट करवाती है और मेंटेनेंस एवम बिजली के लिए भी प्रीपेड मीटर रिचार्ज करना होता है । मेंटेनेंस के नाम पर घटिया स्तर की सुविधाएं और कर्मचारियों का व्यवहार भी अच्छा नहीं होता । मकान मालिक एक से दो महीने का किराया एडवांस में सिक्योरिटी डिपोजिट के रूप में और एक महीने का एडवांस में जमा कराते हैं । फ्लेट में सामान लाने और फ्लेट बदलने पर एसोसिएशन भी एंट्री एक्जिट के पैसे लेती है । दस महीने होते ही किरायेदार पर दवाब या प्रलोभन से फ्लेट खाली करने की चाल चली जाती है जिससे किरायेदार यदि दूसरे फ्लैट में जाएगा तो दलाली का एक अन्य फ्लेट का कमीशन जो एक महीने का किराया होगा वो मिलेगा और खाली किए जाने वाले फ्लेट में कोई नया किरायेदार आएगा तो इस फ्लेट का भी एक माह का किराया दलाली के रूप में मिलेगा इस तरह की चैन बनाकर कई किरायेदार और कई फ्लेट मालिक इनके शिकार बन जाते हैं । फ्लेट मालिकों में कुछ लालची किस्म के फ्लेट मालिक भी होते हैं जो दलालों को कमीशन नहीं देना चाहते या फिर केवल 7 दिन के किराए के बराबर कमीशन देते हैं, ये लालची फ्लेट मालिक किरायेदार द्वारा फ्लेट खाली करने के बाद किरायेदार की जमा सिक्योरिटी वापिस करने में आनाकानी करते हैं, झूठ का सहारा लेकर अपने फ्लेट की पूर्व की कमियों को भी किरायेदार के मत्थे मढ़कर उसकी सिक्योरिटी राशि हड़पना चाहते हैं और किराएदार चूंकि फ्लेट खाली करके चला जाता है तो वो इनसे अपनी राशि वापिस नहीं ले पाता । किरायेदार को हर 11 महीने में सामान शिफ्टिंग के 10–15 हजार रुपए और दलाली के आधे महीने के किराए और नए अपार्टमेंट की सिक्योरिटी एंट्री एक्जिट के पैसे भी देना पड़ते हैं । आर्थिक नुकसान तो होता ही है, शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है । ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौर सिटी में ऐसा ही एक वाकया सामने आया है जिसमें एक सीनियर सिटीजन किरायेदार को जो नुकसान उठाने पड़े हैं उनके कारण समझ नहीं आ रहा कि वो क्या करें ।

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