स्वर्ण में भी होता है कलयुग का निवास : आचार्य राधा चेतन स्वामी
मेरठ। आचार्य राधा चेतन स्वामी ने कहा कि, राजा परीक्षित ने जब कलयुग से अपने राज्य से निकल जाने को कहा तो कलयुग ने राजा से कहा कि अब तो द्वापर युग खत्म हो चुका है अतः अब मुझे इस धरती पर रहने का अधिकार है। कृपया करके मुझे अपने राज्य में रहने के लिए स्थान दें क्योंकि यही नियति है।'
आचार्य राधा चेतन स्वामी नगली ताशा बिजलीघर के पास डी ब्लॉक, डिवाइडर रोड, कंकरखेड़ा स्थित भगवती कुंज में श्रद्धालुओं को श्री मद् भागवत पुराण की कथा का रसपान करवा रहे थे।
उन्होंने कहा कि, 'राजा परीक्षित ने बहुत सोच समझकर कलयुग से कहा कि- "हे कलियुग! द्यूत (जुआ), मद्यपान (शराब), परस्त्रीगमन (अवैध संबंध) और हिंसा इन चार स्थानों में असत्य, मद, काम और क्रोध का निवास होता है। इन चार स्थानों में निवास करने की मैं तुझे छूट देता हूँ।"
आचार्यश्री ने बताया कि, 'इस पर कलयुग ने कूटनीति दिखाते हुए कहा कि "महाराज आप जैसे धर्म प्रतिज्ञ और धर्मात्मा राजा के राज्य में यह चार स्थान तो हो ही नहीं सकते हैं, तो भला मैं कहां रहूंगा ? कृपया करके मुझे इनके अतिरिक्त कोई और स्थान दें।"
उन्होंने कहा कि परीक्षित ने बहुत सोच विचार करने के बाद कलयुग से पुनः कहा कि- "ठीक है तुम चार स्थानों के अतिरिक्त स्वर्ण में निवास करो।" बस यही पर राजा परीक्षित गलती कर गए उनकी गलती का फायदा उठाकर कलयुग उन्हीं राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट में बैठ गया और इस प्रकार द्वापर युग का अंत हुआ। आज की कथा में राजीव कुमार सोम यजमान थे।
इस अवसर पर मुरारी लाल शर्मा, हरवीर सिंह चौहान, राजेंद्र सिंह चौहान, हेमराज पुंडीर, अमित शर्मा, मोंटू शर्मा, परवीन भारती, रविंद राणा, कुलदीप, श्रीमती कल्पना सिंह, श्रीमती गीता देवी, हरबली, मुन्नी चौहान, मोनिका तोमर, रीता पुण्डीर, कल्पना शर्मा, ललिता, गायत्री, सोनिका गोस्वामी, रुचि राणा आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।