logo

कृष्ण-सुदामा मिलन की कथा ने श्रद्धालुओं को किया भाव विभोर

शिवपुरी (मध्य प्रदेश)। पिछोर तहसील के ग्राम उमरी कलां  में श्री दाऊ बाबा के स्थान पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य सुनील शस्त्री महाराज ने कहा कि,'सुदामा से परमात्मा ने मित्रता का धर्म निभाया। राजा के मित्र राजा होते हैं रंक नहीं, पर परमात्मा ने कहा कि मेरे भक्त जिसके पास प्रेम धन है, वह निर्धन नहीं हो सकता। कृष्ण और सुदामा दो मित्रों का मिलन ही नहीं, जीव व ईश्वर तथा भक्त और भगवान का मिलन था, जिसे देखने वाले अचंभित रह गए थे। आज मनुष्य को ऐसा ही आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए।'

उन्होंने कहा कि, 'कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां हैं। यही कारण है कि आज भी सच्ची मित्रता के लिए कृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा, सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने पहुंच गए। लोग समझ नहीं पाए कि आखिर सुदामा में क्या खासियत है कि भगवान खुद ही उनके स्वागत में दौड़ पड़े। श्रीकृष्ण ने स्वयं सिंहासन पर बैठाकर सुदामा के पांव पखारे। कृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।

144
14680 views
  
1 shares