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गृहे-गृहे संस्कृतम् योजनांतर्गत द्वादश दिवसीय सरल संस्कृत संभाषण शिविर का हुआ समापन

गृहे गृहे संस्कृतम् योजना द्वारा संचालित 12 दिवसीय सरल संस्कृत संभाषण शिविर का हुआ समापन।

कौशांबी: भाषा विभाग उ.प्र. शासन के नियंत्रणाधीन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा गृहे-गृहे संस्कृतम् योजनान्तर्गत प्राथमिक विद्यालय सर्वाकाजी बलिहांवादेह मूरतगंज में चल रहे द्वादश दिवसीय सरल संस्कृत संभाषण शिविर के समापन सत्र की मुख्य अतिथि रही प्रधानाध्यापिका सोनम ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। समापन सत्र कार्यक्रम में बच्चों की सरस्वती वन्दना एवं रामायण गीत में समूह नृत्य की प्रस्तुति आकर्षक रही। छोटे बच्चों ने अनेक नृत्य कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। मुख्यअतिथि ने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्कृत से श्रेष्ठ संस्कृति एवं नैतिक जीवन चरित्र का निर्माण होता है जो आज के भौतिक युग से अलग दिव्य जीवन का आगाज़ करता है ।यह संस्कृत प्रशिक्षण शिविर इसका प्रमाण है जहां संस्कृत के साथ अनेक विधा से जोड़ा जाता है। विशिष्ट अतिथि शिक्षिका रश्मि ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही कला संस्कृति संस्कार से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा जो जीवन में आगे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। समापन सत्र समारोह में सांस्कृतिक बिंदुओं की सूत्रधार रही विशिष्ट अतिथि रोली कुशवाहा ने कहा कि नृत्य गीत संगीत श्रेष्ठ कलाओं में सर्वप्रथम आता है जिसमें संस्कृत देवभाषा में समाहित कर लेने से व्यक्तित्व दिव्य और अलौकिक हो जाता है। कार्यक्रम का संचालन भाषा प्रशिक्षक डॉ. ज्ञानेश्वर त्रिपाठी ने किया और समस्त अतिथियों का स्वागत माल्यार्पण कर किया साथ ही शिविर के 12 दिन संस्कृतमय वातावरण का अनुभव साझा करते हुए बताया कि यह अप्रैल माह का शिविर 15 अप्रैल से संचालित हुआ था साथ ही उन्होंने संस्थान की चल रही कई निःशुल्क योजनाओं ऑनलाइन संभाषण त्रैमासिक योग ज्योतिष पौरोहित्य आदि के विषय में बताया एवं संस्कृत के क्षेत्र में नित्य नए रोजगार पर चर्चा कर सबको अपने घरों में संस्कृत का वातावरण निर्मित करने का आह्वान किया और प्रतिदिन एक वाक्य संस्कृत में बोलने का निवेदन किया। शिक्षिका रोली कुशवाहा ने समापन सत्र कार्यक्रम के मध्य में बताया कि भक्ति वा देशभक्ति संस्कृतमय गीतों पर बच्चों की नृत्य प्रस्तुति की प्रेरणा इसी शिविर से प्राप्त की और स्वयं संस्कृत के प्रति अपनी रुचि व्यक्त की और निरंतर ऐसे शिविर से जुड़े रहने की सहयोगात्मक बात कही।अंत में डॉ. ज्ञानेश्वर ने संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव योजना सर्वेक्षक भगवान सिंह चौहान पूर्वयोजना सर्वेक्षिका डॉ.शकुन्तला शाक्या प्रशासनिक अधिकारी जगदानंद झा दिनेश मिश्र योजना समन्वयक अनिल कुमार गौतम प्रशिक्षक समन्वयक धीरज मैठाणी दिव्यरंजन समन्विका राधा शर्मा निरीक्षक महेंद्र मिश्र लक्ष्मी नारायन राजपूत शिव प्रताप मिश्र सविता मौर्या सहित पूरी टीम को धन्यवाद ज्ञापित कर आभार व्यक्त किया। इस दौरान बच्चों ने अनेक गीतों में सांस्कृतिक प्रस्तुति दीं। इस अवसर पर विद्यालय में शिक्षिका गरिमा सिंह सहित प्रियांशी पूजा वर्षिता सलोनी सृष्टि ईशान अनेक बच्चे व अभिभावकगण आदि उपास्थित रहे।

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