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मुस्लिम आरक्षण पर देशभर में मचा बवाल

मुसलमानों को आरक्षण देने का मुद्दा इन दिनों खासी चर्चा में है। भाजपा नेता कांग्रेस पर एससी और एसटी आरक्षण को कम करके मुसलमानों को देने का प्रयास करने के आरोप लगाकर हमलावर हो रहे हैं। प्रधानमंत्री राजस्थान में हुई चुनावी रैलियों में यह बयान दे चुके हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर द लित-पिछड़ों का आरक्षण बांटकर मुसलमानों को देने की कोशिश की है। कांग्रेस नेता इन आरोपों का बचाव करते हुए दिख रहे हैं। हर राजनीतिक दल मु स्लिम आरक्षण अपने नजरिए से देख रहा है। पीएम मोदी के इस बयान पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ऐसा बयान देकर मोदी देश को कमजोर कर रहे हैं। हालांकि तथ्यों की पड़ताल में जाएं तो आंध्र प्रदेश में मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए कांग्रेस सरकार ने पहल की थी। वर्ष 2004 में कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी ने 12 जुलाई 2004 को मुसलमानों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी। लेकिन आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने कांग्रेस सरकार के आदेश पर 21 सितम्बर 2004 को रोक लगा दी थी।
न्यायालय ने अपने आदेश में साफ किया था कि सरकार ने आरक्षण का फैसला लेने से पहले पिछड़ा वर्ग आयोग से चर्चा नहीं की थी। इसके बाद आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने नवम्बर 2004 में डी. सुब्रमण्यम आयोग की स्थापना की थी। आयोग ने मुलमानों को 5 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की थी। सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से आरक्षण देने की बात कही थी। लेकिन आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं होने की सुप्रीम कोर्ट की बाध्यता के चलते ये मामला कानून अड़चन में फंस गया था।
कर्नाटक में भाजपा सरकार ने मार्च 2023 में मुसलमानों को दिया जाने वाला 4 फीसदी आरक्षण रद्द करने का फैसला किया था। कांग्रेस ने राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं से वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो मुसलमानों को फिर 4 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। उस समय कांग्रेस अध्यक्ष पद पर डी.के. शिवकुमार आसीन थे। हालांकि कांग्रेस की सरकार आए एक साल का समय हो गया है, लेकिन कानूनी अड़चन के कारण कांग्रेस सरकार इसे दुबारा लागू नहीं कर पाई।

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