सरकार का रेल यात्रियों के साथ सौतेलापन
एक यात्री को स्लीपर , वातानुकूलित का टिकट लेने पर रेलवे द्वारा निर्धारित सुबिधाओं के साथ सीट उपलब्ध कराई जाती हैं क्योंकि वे यात्री धनी लोग होते हैं। वही दूसरी तरफ गरीब परिवार के मजदूर, महिला, पुरुष ,विकलांग इत्यादि व्यक्तियों द्वारा जनरल टिकट लेने के बाद भी एक-एक डब्बों में भेड़ बकरियों से बदतर सफर करने को मजबूर होते हैं।जबकि येलोग भी सरकार द्वारा निर्धारित टिकट उचित मूल्य चुका कर सफर करते हैं। तो क्यो नहीं अन्य यात्रियों की भांति इन्हें सीट उपलब्ध कराई जाती है।क्या इन्हें सीट पर बैठ कर जाने का अधिकार स्वतंत्र भारत में नहीं है।कब तक सौतेला पान ब्यबस्था का शिकार होते रहेंगे।न्याय की उम्मीद लगाए कब तक राह निहारेंगे।इनके चीख पुकार सुनने वाला कोई हैं?