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जिला मुख्यालय में युवाओं के रोजगार का जरिया बना अवैध शराब कारोबार , अहाते, अघोषित बार का आकार ले रहे होटल - ढाबे शराब की लत में डूब रही युवा पीढ़ी

जिला मुख्यालय में युवाओं के रोजगार का जरिया बना अवैध शराब कारोबार , अहाते, अघोषित बार का आकार ले रहे होटल - ढाबे शराब की लत में डूब रही युवा पीढ़ी

राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा के दरमियान पवित्र नर्मदा तटों में शराब कारोबार पर प्रतिबंध तो लगाया ,लेकिन बावजूद इसके देखा गया है कि शराब कारोबारी अपने मुनाफे की भरपाई इन पवित्र नर्मदा तटों से ही कर रहे हैं , जिसमे आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिला भी शामिल है ,आलम यह है की गांव - कस्बों में शराब के अवैध कारोबार ने पैर तो पसारे ही साथ ही जिला मुख्यालय में तो युवाओं ने इसे रोजी - रोजगार का मुख्य जरिया बना लिया है,क्यों और कैसे ...?
यह हम आपको बताते है। दरअसल प्रतिबंध से पहले जिला मुख्यालय में नगर के बीचों बीच शासन - प्रशासन द्वारा देशी - विदेशी मदिरा की एक - एक दुकान आवंटित की गई थी,लेकिन जबसे यह प्रतिबंध लगा तब से ही अधिकांश स्थानीय युवाओं ने इसे अपने रोजी - रोजगार का मुख्य जरिया बना लिया है।फर्क बस इतना है की पहले शासन - प्रशासन ने ठेके पर दुकानें आवंटित की थी ,और प्रतिबंध के बाद शहर के गली - मोहल्लों के युवाओं ने इस अवैध कारोबार को अपनाते हुए शहर के कॉलेज तिराहे से लेकर जलाराम पेट्रोल पंप ,मुख्य बस स्टेंड ,मस्जिद मोहल्ला ,पुरानी डिंडोरी सब्जी मंडी ,कंपनी चौक ,समनापुर तिराहा और मंडला बस स्टेंड के इर्द - गिर्द एवं बायपास तक अनेकों ठिकाने बना लिए ,जहां 24 घंटे सेवा उपलब्ध मिलेगी।

घर बैठे सेवा भी उपलब्ध - जिन युवाओं के पास शराब के अवैध कारोबार को संचालित करने कोई ठिकाना नहीं,ऐसे युवाओं ने तो बाकायदा अपने मोबाइल नंबर वितरित कर रखे है,जो शातिराना अंदाज में महज चुनिंदा और भरोसेमंद ग्राहकों को ही घर पहुंच सेवा उपलब्ध कराते है,बस आवश्यकता है तो फोन नंबर लगाने की और आपका मन पसंद ब्रांड आपके द्वार पर आसानी से उपलब्ध हो जाएगा।

अहाते की तर्ज में तब्दील हो रहे होटल -- प्रतिबंध के बाद जैसे ही अवैध शराब के इस कारोबार ने रफ्तार पकड़ी थी,ठीक वैसे ही जिले के अधिकांश होटल - ढाबे, अहाते या अघोषित बार की शक्ल में तब्दील होते आ रहे हैं। और बीते कुछ समय में स्थानीय पुलिस द्वारा की गई कार्यवाहियां इसके सटीक प्रमाण है,जहां से बकायदा शराब के साथ भारी तादाद में शराब की बोतले बरामद की जा चुकी है। इनमे से ज्यादातर होटल - ढाबे आप मंडला डिंडोरी अमरकंटक बायपास के इर्द - गिर्द या अमरकंटक मुख्य मार्ग पर भी देख सकते हैं। जहां यह कारोबार बेखौफ अंदाज में संचालित होता आया है ।

स्कूटर और चार पहिया बने माध्यम - अवैध शराब के इस कारोबार के लिए स्थानीय युवा बकायदा दो पहिया वाहन के साथ चार पहिया वाहन का प्रयोग भी करते है,कभी दिन - दहाड़े तो कभी देर रात से प्रातः 6 बजे तक अवैध शराब तय पता ठिकाने तक पहुंच जाती है।इतना ही नहीं इसके लिए बाकायदा शराब कारोबारी ने भी वाहन लगा रखे है जिनमे वाहन के माध्यम से निश्चित पता - ठिकानों तक अवैध शराब परोसी जाती है। ऐसे वाहन आपको विश्राम गृह पहाड़ी के पीछे देखने सहजता से मिल सकते है,जहां शराब कारोबारी के गुर्गों ने अपना ठिकाना बना रखा है। फिलहाल तो एक नारायण नामक युवक का नाम भी सामने आ रहा है जो अपने स्कूटर के माध्यम से यह सेवा रोजाना दे रहा है।

कार्यवाही से गुरेज करता आबकारी विभाग - नियमानुसार जहां कहीं भी शासन द्वारा ठेके पर दुकानें आवंटित की जाती है , वहां ठेके की नियम शर्तों के मुताबिक शराब विक्रय की दरें चस्पा की जाती है,लेकिन जिले में ऐसा नहीं है ,यहां शराब कारोबारी नियम - निर्देशों से परे न्यूनतम और अधिकतम मूल्य के ऊपर की दरों पर शराब का विक्रय कर रहे हैं।हाल ही में सोशल मीडिया के माध्यम से भी यह बात सामने आई की शिकायतकर्ता जब कभी आबकारी अमले को इस सच्चाई से रूबरू कराता है तो विभाग द्वारा टका सा जवाब दे दिया जाता है,की लिखित में शिकायत करें,तब जाकर कार्यवाही होगी।और फिर थाना कोतवाली के बीते एक वर्ष का रिकॉर्ड और आबकारी द्वारा सम्पूर्ण जिले में की गई कार्यवाही का रिकॉर्ड देखे तो आबकारी विभाग की ठेकेदार से संलिप्तता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

माफिया पर कार्यवाही की मांग - मतदान होने के बाद से ही एकाएक शराब के कारोबार ने जिला मुख्यालय में गति क्या पकड़ी, लोग सोशल मीडिया पर चुटकियां लेने लगे की शराब के इस अवैध कारोबार को बढ़ावा देने वाले माफियाओं पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए। एक स्थानीय शख्सियत ने तो यहां तक लिख दिया की आबकारी और पुलिस द्वारा अब तलक जो कार्यवाही की जाती रही वह अधूरी है, और ताकतवर लोगों को बचाने का पुरजोर प्रयास ,क्यों की कुचिया या यूं कहें की स्थानीय युवा शासन द्वारा स्वीकृत ठेकों से ही शराब लेकर आते हैं,और फिर बेयर हाउस या कंपनी बगैर ठेके के शराब नहीं बेंच सकती । जानकारों की माने तो यह सारा कारोबार शराब कारोबारी के मुख्यालय पार्टनर के इशारों पर संचालित हो रहा है। बहरहाल जब हमने इस संबंध में आबकारी निरीक्षक एम आर उईके के फोन पर संपर्क साधने का प्रयास किया तो उनका फोन सेवा में नही था ।

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