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गर्मी बढ़ते ही बाजार में बढ़ी गरीबों की देशी फ्रिज मटके की मांग

छत्तीसगढ़ क्षेत्र में जैसे-जैसे गर्मी का पारा चढ़ रहा है लोगों की परेशानी भी बढ़ती जा रही है। लोगों का कंठ गर्मी की तपिश से सूखने लगा है। लोग अपने-अपने घरों में देसी फ्रिज यानी मिट्टी से बना बर्तन खूब खरीद रहे हैं। मिट्टी से बना मटके का पानी किसी फ्रिज से कम ठंडा नहीं है और पानी का स्वाद भी कई गुना बढ़ा देता है। मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए काफी उत्तम है। गुरुवार साप्ताहिक बाजार में क्षेत्र मे बढ़ती प्रचंड गर्मी के मद्देनजर देसी फ्रिज की मांग काफी बढ़ गयी। मिट्टी के घड़े की बढ़ती मांग को देखते हुए बाजार में कुम्हार कई किस्म के मिट्टी के बर्तन बेच रहे हैं। कुम्हार ग्राहकों की मांग के अनुरूप विभिन्न प्रकार के घड़ा, सुराही, मटका आदि का निर्माण कर बाजार में बेच रहे हैं। आज भी देसी फ्रिज की मांग समाज के सभी वर्गों में है। खासकर ग्रामीण एवं पहाड़ी क्षेत्रों में जीवन व्यतीत करने वाले आदिवासी जनजाति परिवार इसके कायल हैं। बाजार में एक घड़े की कीमत 60 से 90 रुपए तक बिक रही है। मिट्टी के घड़े एवं वर्तन कारोबार में जुड़े कुम्हार बताते हैं कि हम लोग वर्षों से इस धंधे से जुड़े हुए हैं। बारहो महीना हमलोग विभिन्न बाजारों में मिट्टी से बने बर्तन बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। पिछले पांच वर्षों से मिट्टी के बने बर्तन की बिक्री में कमी आयी है। गर्मी आते ही मिट्टी के बर्तन की बिक्री कुछ हद तक ठीक-ठाक होती है। हालांकि मिट्टी, कोयले आदि की बढ़ती महंगाई से कुम्हार परेशान हैं और उनका कहना हैं कि मेहनत के हिसाब से मिट्टी के वर्तनों का दाम नही मिल पाती हैं फिर भी हम लोग पुस्तैनी धंधे को संभाल रखा हैं।

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