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रात के अंधेरे में नदियों का चीरा जाता है सीना, नदी में उतरते हैं सैकड़ो डंपर और दर्जनों जेसीबी मशीनें

विकासनगर तहसील क्षेत्र अंतर्गत अवैध खनन के मामले में खनन अधिकारी से लेकर प्रशासन भी चुप्पी साधे बैठा है। हालांकि यह सब उनकी जानकारी में ही चल रहा है। खनन माफिया सेटिंग गेटिंग करके ही अवैध खनन कर रहे हैं। इसके लिए उनकी नीचे से ऊपर तक सेटिंग है।अवैध रूप से खनन कर करोड़ों का धंधा करने वाले खनन माफिया के निशाने पर सारना नदी वा आसन नदी है।

सहसपुर रामपुर सेलाकुई की सारना नदी और आसन नदी में रात्रि 11 बजे के बाद उतारी जाती हैं दर्जनों जेसीबी मशीनें और जमकर पूरी रात नदियों का सीना चीरकर किया जा रहा अवैध खनन नदियों को बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील कर दिया गया है नदियों में चल रही मशीनों और सडक़ों पर दौड़ते ट्रकों को देखकर लोगों के जहन मेें ऐसे सवाल कौंधने लगे हैं जिसका जवाब तलाशना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर होगा।

प्रशासन पर खनन माफिया भारी पड़ता नजर आ रहा है।नदियों से मशीनों द्वारा अवैध रूप से खनन किया जा रहा है,जोकि प्रतिबंधित है। नदियों के वर्तमान हालात का जायजा लेने के लिए क्षेत्र में पडने वाली नदियों का दौरा किया जाए तो दिखेगा कि नदी में 20-30 फुट तक मशीनों के द्वारा गहरे गडडे पिछले कुछ दिनों में खोद दिए गए और खनन सामग्री रेत, बजरी, गटका आदि को निकाल लिया गया हैं। जिससे नदियों का स्वरूप एक बार फिर से बिगड़ता जा रहा है।

वहीं प्रशाशन का कहना है की ओवरलोड ट्रकों और नदियों से अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार ने जिले को किसी निजी कंपनी के हाथों में दे दिया गया है। अब यहां सवाल यह उठता है कि क्या जिले की नदियों में खनन माफियाओं को अब जेसीबी मशीन और पोकलैंड मशीन से अवैध खनन करने की छूट दे दी गई है,क्या सभी मानक और नियम खत्म कर दिए गए हैं,क्या नदियों को अब बड़े-बड़े गढ्ढो में तब्दील कर नदियों का स्वरूप बदलने की छूट खनन माफियाओं को दे दी गई है, क्या जिले में अब माननीय उच्च न्यायालय और एनजीटी व सरकार द्वारा खनन करने के लिए निर्धारित किए गए मानक अब मायने नहीं रखते,क्या प्रशासन और संबंधित विभाग मूकदर्शक बनकर कोई कार्रवाई नहीं कर सकता ।

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