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वेद प्रकाश वटुक का जन्मोत्सव एवं तीन पुस्तकों का विमोचन

मेरठ। वेद प्रकाश वटुक का जन्मोत्सव
मास्टर सुंदर लाल स्मृति न्यास, अंतरराष्ट्रीय साहित्य कला मंच और न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन के संयुक्त तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर वेद प्रकाश वटुक का 93वां जन्मोत्सव धूमधाम से पी एल स्मारक मैदान में मनाया गया। इस अवसर पर तीन पुस्तकों जिनमें प्रो वेद प्रकाश वटुक की पुस्तक
दलित मसीहा मंगतूराम और उसका संघर्ष, भगवान दीक्षित के कहानी संग्रह जल्लो चाची और डॉ राम गोपाल भारतीय की प्रतिनिधि ग़ज़लें का विमोचन राष्ट्रीय कवि डॉ हरिओम पंवार ने किया ।

इस अवसर पर प्रो वटुक जी ने अपने संबोधन में कहा कि अपने जीवन अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि अन्याय का विरोध करना भी देशभक्ति है। प्रमुख वक्ता शोधार्थी एवं स्वतंत्र लेखिका डॉ सैयदा बी ख़ान ने कहा कि वटुक जी ने दलित साहित्य पर बहुत बड़ा कार्य किया है।कार्यक्रम अध्यक्ष चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि हमें अपनी साहित्यिक धरोहर को संजोकर रखना है।

लेखक एवं पत्रकार शाहिद ए चौधरी ने इस अवसर पर विमोचित की गई तीनों पुस्तकों की 1500 शब्दों में सारगर्भित समीक्षाएं करते हुए कहा कि वटुक जी ने अपनी कृतियों में हाशिए पर पड़ी ऐसी ज्वलंत तस्वीरें खींची है जिनमें भूत और वर्तमान का इतिहास नजर आता है।
उन्होंने कहा कि वटुक जी गदर आन्दोलन की अलख जगाए हुए हैं। न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन,नई दिल्ली की संचालिका आरिफा एविस ने जन्म दिन की बधाई देते हुए उनके जीवन संघर्ष के बारे में जानकारी दी। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र आयुष चतुर्वेदी ने भगवान दीक्षित का कहानी संग्रह 18 कहानियों का संग्रह है, जिसमें बदले समाज का चित्रण है,जिनका मुख्य केंद्र दलित और महिलाएं हैं।जल्लो चाची की समीक्षा करते हुए कहा कि लेखक की नजर में सूअर की जान से ज्यादा पेड़ पौधों का ज्यादा महत्व है।

डॉ भारतीय की प्रतिनिधि ग़ज़लें की समीक्षा करते हुए शाहिद ए चौधरी ने कहा कि भारतीय जी शायरी अर्थ से भरपूर्ण हैं। डॉ भारतीय को पहली पंक्ति के शायर बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी ग़ज़लें दिल ही नहीं आत्मा को भी महका देती हैं।
उदाहरण -आज को छोड़ दिया जो,
तो मेरा कल फिसला।
रेत की तरह मेरे हाथ से
हर पल फिसला।
डॉ भारतीय की अन्य रचना देखिए -
जिस घर की हवा में थी ,रिश्तों की महक।
हम गांवों के हर घर में वो ढूंढ रहे हैं।

इस अवसर पर दिल्ली शिक्षा निदेशालय के सहायक अध्यापक डॉ योगेन्द्र सिंह ने वटुक जी का साक्षात्कार लेते हुए कहा कि वटुक जी सही मायनों में मानवता के पैरोकार हैं और उनकी कृतियां वसुदैव कुटुंबकम् की भावना को साकार करती हैं ।

कार्यक्रम का प्रारंभ कवयित्री कविता कुसुमाकर द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना
शारदे मां की मिलकर करें वन्दना
भाव श्रद्धा के लेकर करें प्रार्थना से हुआ ।

कार्यक्रम का सफ़ल एवं मनमोहक संचालन डॉ राम गोपाल भारतीय ने किया। मंच पर वरिष्ठ कवि कौशल कुमार, शिक्षाविद डॉ मानसिंह वर्मा, पूर्व आईएएस अधिकारी एवं स्वतंत्र लेखक प्रभात राय पूर्व मंडलायुक्त आर के भटनागर, उत्तर प्रदेश साहित्य भूषण से विभूषित किशन स्वरूप विराजमान थे। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
इस अवसर पर डॉ सुबोध गर्ग, शकील सैफी, चरण सिंह स्वामी गोपाल जानम, ओंकार गुलशन, सत्य पाल सत्यम, यशपाल कौत्सायन, मंगल सिंह मंगल, डोरी लाल भास्कर,ब्रज राज किशोर राहगीर, ईश्वर चंद्र गंभीर, चंद्र शेखर मयूर, पूनम मनुराणा मुक्ता शर्मा, रितु अग्रवाल, कविता मधुर, दिनेश कुमार शांडिल्य एडवोकेट, मुनेश त्यागी एडवोकेट, इरशाद बेताब, एडवोकेट,मुकेश चंद्रा, ओम वाजपेई, नितिन राजपूत, सुमनेश सुमन, विनय नोंक, अलका गुप्ता, संध्या रानी, अजय, संगीत शर्मा,चमन सिंह शर्मा, धर्म पाल आर्य, प्रिती भारद्वाज , कामरेड जितेन्द्र राठी आदि मौजूद थे।

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