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हिना साहब की जीत जरूरी, सीवान की जनता करें स्पोर्ट
खबर की हेडिंग देखकर लोगों को तो यह लगेगा यह अखबार का काम नहीं कि किस
बताते चलें कि सिवान जिला किसी परिचय का मोहताज नहीं सिवान ने सर्वप्रथम डॉ राजेंद्र प्रसाद के इतिहास से अपने को प्रदर्शित किया, दूसरी तरफ नटवरलाल के रूप में भी जाना गया, वही इन दोनों से परे मोहम्मद शहाबुद्दीन के नाम से भी चर्चित रहा. बिहार के बाहर के लोगों के बीच जब सिवान की चर्चा आती है, तो केवल शहाबुद्दीन का नाम सामने लाया जाता है वह भी उसे रूप में जिस रूप में शायद वह नहीं थे. शहाबुद्दीन के ऊपर लगाए गए कुछ हद तक सही माने जाए तो कुछ हद तक गलत भी थे. ऐसा कुछ विशेषज्ञों का मानना है. जनादेश टीम ने सिवान की सियासत को बहुत करीब से देखा है विगत 13 वर्षों में सिवान में मोहम्मद शहाबुद्दीन के इर्द-गिर्द घूमने वाली राजनीति बिहार की अन्य पार्टियों की राजनीति कि अगर तुलना की जाए, तो शायद हिना साहब का व्यवहार वह व्यक्तित्व बाकी सब राजनीतिक चेहरों से अलग है, ज्ञात होगी कोरोना कल में मोहम्मद शहाबुद्दीन के इंतकाल के बाद उनके परिजनों को उनकी अंतिम इबादत का भी मौका नहीं दिया गया, हालांकि मोहम्मद शहाबुद्दीनपुर सांसद भी रह चुके थे, इसलिए उनके परिवार को कम से कम उनकी अंतिम विदाई में सारी खोने का मौका मिलना चाहिए था, यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि देश एक बड़ी महामारी से जूझ रहा था. परंतु इसी में अन्य लोगों की अंत्येष्टि करने का भी प्रावधान बनाया गया था. खैर छोड़िए इन बातों को, अब हम सीधे आते हैं मुद्दे पर सिवान ने मोहम्मद शहाबुद्दीन के बाद दो सांसद दिए दोनों सांसदों ने सिवान की जनता के लिए क्या किया या किसी से छुपा नहीं है, अब एक बार कम से कम मोहम्मद शहाबुद्दीन या यूं कहें मरहूम पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन जिन्होंने सिवान को चिकित्सा व्यवस्था से लेकर के इंजीनियरिंग व्यवस्था तक दी, तो हिना साहब को उनकी पत्नी होने के नाते कम से कम एक बार तो मौका मिलना चाहिए. ज्ञात होगी जिस पार्टी की परंपरा में विश्वास कायम रखने के लिए मरहूम शहाबुद्दीन साहब ने जेल से निकलते ही एक बात कही थी कि नीतीश तो परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं हमारे नेता तो लालू यादव हैं. अब लाल यादव को यह सोचना चाहिए था, जिस व्यक्ति के दम पर अपने बिहार की राजनीति की जिस व्यक्तित्व ने आपका साथ और आपकी पार्टी का ध्वज कभी नहीं छोड़ा उसे व्यक्ति के लिए तो आप कुछ नहीं किये, कम से कम उनके जाने के बाद उनके द्वारा आपके बाप की पार्टी के लिए किए गए कार्यों का हक तो अदा करना चाहिए था, अब सवाल उठता है की मोहम्मद शहाबुद्दीन के द्वारा पार्टी के प्रति श्रद्धा व निष्ठा के बदले सिवान के सब के परिवार की अनदेखी क्या राजद के लिए लाजमी था. अगर नहीं तो सिवान की जनता को इस बार राजद अन्य पार्टियों को यह दिखाना होगा, की 13 वर्षों में हिना साहब ने जो संघर्ष किया है उसका फल तो उन्हें इस बार मिलना चाहिए. हमें यह खाने में कोई अतिशयोक्ति नहीं की मोहम्मद शहाबुद्दीन सांसद बने दो राजनीतिक दल के नेताओं ओम प्रकाश यादव व कविता सिंह के द्वारा जो कार्य सिवान की जनता के लिए नहीं किया गया, शायद वही ना सब करके दिखाए, इसलिए सिवान की जनता को एक बार दिल पर पत्थर रखकर ही सही हिना साहब के सर पर सिवान संसद का ताज रखना ही चाहिए, जिस परिवार मैं जिंदगी के बहुत उतार-चढ़ाव देखे या यूं कहें कुछ तथा कथित लोगों के द्वारा मोहम्मद शहाबुद्दीन के बाहुबली होने का दंश उनका परिवार क्यों झेले, मोहम्मद शहाबुद्दीन का बाहुबली होना अगर राष्ट्रीय स्तर पर बुरा है,तो हीना साहब का अपने पति के प्रति सचिन निष्ठा वह उनकी परंपरा को जीवंत करना भी उतना ही जायज है . जो संघर्ष सिंह साहब वह उनके परिवार ने किया है, उसका पारिश्रमिक राजा पार्टी के द्वारा तो दिया जाना चाहिए था. परंतु रजत पार्टी के द्वारा हिना साहब के परिवार की अपेक्षा तो हुई ही , जो सर्व विदित है. अब सिवान की जनता का दायित्व बनता है कि ऐसे परिवार वह मोहम्मद शहाबुद्दीन के द्वारा किए गए विकास कार्यों के बदले एक बार हिना साहब को अपना प्यार जताया जाए, और उनके कार्य करने का एक मौका दिया जाए. अब देखना यह है कि सिवान की जनता इन तथाकथित मौका परस्त राजनेताओं की तरफ ध्यान देती है, या एक ही पार्टी में अपने हस्ती को मिटा देने वाले उसे परिवार की हौसले को बुलंद करती है या तो 4 जून को पता चलेगा.
मोहम्मद शहाबुद्दीन ने एक इंटरव्यू में कहा था मेरे साथ एक वाक्य हमेशा से रहा कि मैं कभी हार नहीं शिवाय सांसों के सांसों ने मुझे हरा दिया.
जनादेश टीम द्वारा सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के विकास कार्यों की समीक्षा करने के उपरांत थी यह लेख प्रकाशित किया गया है, और हिना साहब के द्वारापार्टी के प्रति सच्ची निष्ठा व ईमानदारी को देखते हुए आगे इस प्रकार के आर्टिकल लिखे जाएंगे हो सकता है सिवान की जनता को थोड़ा सा या आभास हो कि महिला के साथ न्याय होना चाहिए तो सिवान की जनता न्याय करेगी और 4 जून को एक बार सिवान वीडियो के लिए जीने मरने के लिए हिना साहब के हाथों को मजबूत करेगी.