सामाजिक, राजनैतिक व न्यायायिक समस्याएं और उनके समाधान के उपाय उपलब्ध होने के बावजूद हम किस लाचारी के कारण प्रायः परेशान रहते हैं।
समाज को निर्मित करने वाली ईकाईयां बहुरूपी प्रतीत होती है। लेकिन अपने को नैतिक और चारित्रिक स्तर से विकसित प्रस्तुत करती है, यह तथ्य है। जो दिखती नहीं है लेकिन महसूस होती है वह खतरनाक है क्योंकि उससे वास्तविक कठिनाइयां और बाधाएं समस्या पैदा करते हैं और उनसे संबंधित ईकाई व नीतियां कार्य नहीं कर पाती।समाज पर आधारित सभी नीतियां बनाई जाती हैं। लेकिन उनके लिए ही बनाई गई हैं नतीजा से लगता। फलस्वरूप लगता है कि विकास हो रहा है, लोग न्याय पा रहे हैं, आर्थिक समानता आ रही है, इत्यादि लेकिन सब दिवास्वप्न सिद्ध होता है। नीतियां रोज बनाई जाती है लेकिन समस्याएं बनी रहती है। यह अविश्वसनीय होना चाहिए लेकिन यही विश्वसनीय बन गया है।धन्यवाद।
समाज को निर्मित करने वाली ईकाईयां बहुरूपी प्रतीत होती है। लेकिन अपने को नैतिक और चारित्रिक स्तर से विकसित प्रस्तुत करती है, यह तथ्य है। जो दिखती नहीं है लेकिन महसूस होती है वह खतरनाक है क्योंकि उससे वास्तविक कठिनाइयां और बाधाएं समस्या पैदा करते हैं और उनसे संबंधित ईकाई व नीतियां कार्य नहीं कर पाती। समाज पर आधारित सभी नीतियां बनाई जाती हैं। लेकिन उनके लिए ही बनाई गई हैं नतीजा से लगता। फलस्वरूप लगता है कि विकास हो रहा है, लोग न्याय पा रहे हैं, आर्थिक समानता आ रही है, इत्यादि लेकिन सब दिवास्वप्न सिद्ध होता है। नीतियां रोज बनाई जाती है लेकिन समस्याएं बनी रहती है। यह अविश्वसनीय होना चाहिए लेकिन यही विश्वसनीय बन गया है। धन्यवाद।