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पुत्र वैभव के लिए मां सुनीता पहली बार प्रचार में उतरी!
राजस्थान की जालौर लोकसभा सीट, कांग्रेस की अपेक्षा, अशोक गहलोत के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी? आरक्षित से सामान्य वर्ग की सीट होने के बाद से कांग्रेस जालौर को अभी तक नहीं जीत पाई है? कांग्रेस ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को चुनावी मैदान में उतारा है!
जालौर सीट कांग्रेस के तीन युवा चेहरों के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है। जालौर संसदीय क्षेत्र के युवा नेता नीरज डांगी लगातार विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कृपा से राज्यसभा में पहुंचे। वहीं दूसरे देवासियों के बड़े नेता रतन देवासी को अशोक गहलोत ने इस क्षेत्र की विधानसभा एक बार लोकसभा का टिकट देकर बड़ा नेता बनाया। रतन देवासी 2023 में विधानसभा का चुनाव जीतने में सफल हुए मगर, तीसरे बड़े नेता संयम लोढ़ा गत दिनों विधानसभा का चुनाव सिरोही से विधायक रहते हुए नहीं जीत पाए। मगर, वह भी इस क्षेत्र के बड़े नेताओं में शुमार है?
जालौर संसदीय क्षेत्र में इन तीनों बड़े नेताओं की अपनी जातियों के बड़ी संख्या में वोट है। मगर, सवाल यह है कि क्या यह तीनों नेता अपनी जातियों के वोट कांग्रेस और वैभव गहलोत को दिलवा सकते हैं? चौथा नाम अशोक गहलोत के ओएसडी रहे पुखराज पाराशर का है। मगर, पुखराज पाराशर ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहकर जालौर क्षेत्र में अपने दोस्त अधिक ही बना लिए। इस कारण, पुखराज पाराशर से कांग्रेस को फायदा होने की जगह नुकसान भी उठाना पड़ सकता है? अशोक गहलोत राजनीति के चाणक्य हैं और वह अच्छे से जानते हैं कि, कब किसका राजनीतिक उपयोग किया जाए। जिससे कांग्रेस और उन्हें फायदा मिले। इसीलिए उन्होंने राजस्थान भर से अपने चाहने वाले प्रभावशाली नेताओं को जालौर लोकसभा सीट पर तैनात कर रखा है?
सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष हेम सिंह शेखावत अपनी टीम के साथ जालौर लोकसभा क्षेत्र में तैनात हैं! 4 मार्च गुरुवार के दिन प्रत्याशी वैभव गहलोत की नामांकन रैली में, तत्कालीन गहलोत मंत्रिमंडल के सदस्य रहे शांति कुमार धारीवाल, रघु शर्मा, महेंद्र चौधरी साले मोहम्मद राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली पहुंचे? गहलोत परिवार के लिए जालौर सीट को जितना जीतना प्रतिष्ठा का सवाल क्यों है? इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है जब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नामांकन रैली को संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पहली बार मेरी पत्नी श्रीमती सुनीता गहलोत अपने बेटे के प्रचार के लिए उपस्थित हुई हैं। इससे पहले कभी भी सुनीता को अपने प्रचार करते हुए नहीं देखा होगा?
अशोक गहलोत राजस्थान के लोकप्रिय नेता है वह जब-जब भी राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे तब उन्होंने राजस्थान की जनता के लिए अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं बनाकर लाभ पहुंचाया! अशोक गहलोत ने अपने कार्यकाल में सांचौर को जिला बनाया। यह जालौर संसदीय क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है! यदि विकास के नाम पर जालौर की जनता वोट करती है तो, जालौर सीट से वैभव गहलोत का जीतना, मुश्किल नहीं होगा। क्योंकि अशोक गहलोत ने राजस्थान में अपनी सरकार रहते हुए जालौर संसदीय क्षेत्र में विकास के अनेक कार्य किय! और अशोक गहलोत अपने पुत्र वैभव गहलोत के लिए अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों के नाम पर ही वोट मांग रहे हैं!
वोटो के लिहाज से देखें तो, जालौर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं की कमी नहीं है। दलित, आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कम नहीं है। सवाल यह है कि कांग्रेस अपने पारंपरिक मतदाताओं के मतों को कांग्रेस के पक्ष में कितना डलवा पाती है?