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बिहार में किसकी सरकार.? बिहार मांगे मोर...
पटना। विधानसभा चुनाव के तहत बिहार के राजनैतिक गलियारों में कुर्सी की दौड़ में इसबार 6 - 6 प्रत्याशियों ने मुुख्यमंत्री पद के लिये अपनी दावेदारी पेश की है। बिहार के राजनैतिक इतिहास में शायद यह पहला मौका हो, जब सभी राजनीतिक पार्टी अलग अलग गठबंधन करकेे अपना ही सीएम बनाने के सपने देख रही है।
जहाँ एक तरफ सत्ता पक्ष की पार्टी एनडीए ने अपने खेमे से वर्तमान मुख्ययमंत्री जदयु के नितीश कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष युुुुुपीए के युवा नेता राजद ने तेेेेेजस्वी यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं केंद्रीय मंत्री स्व॰ रामविलास पासवान के पुत्र लोजपा नेता चिराग पासवान ने भी एनडीए से गठबंधन तोड़कर अपने दम पर बिहार की कुर्सी के लिए अपना मोर्चा संभाल रखा है। साथ ही अपने - अपने तरीकों से महागठबंधन का ढोंग करने वाली पार्टियों के पप्पू यादव और उपेन्द्र कुशवाहा भी चुनावी अखाड़े में अपना ताल ठोंक रहे हैं।
वहीं इन सब से अलग बिहार की राजनैतिक गलियारों में खलबली मचाने एक नयी पार्टी प्लुरल्स पार्टी आई है। जिसकी पार्टी प्रेसिडेंट दरभंगा की रहने वाली और लंदन और ससेक्स युनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री लेकर लौटी, पूर्व जदयु एमएलसी विनोद चौधरी की बेटी पुष्पम प्रिया चौधरी हैं। सभी राजनीतिक पार्टियां कोरोना काल में भी सत्ता की चाह लिए हर रोज पहले चरण के मतदान के लिए चुनावी सभाएं कर रहे हैं, जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ता और जनता को जनसभाओं के लिए नीयत स्थानों पर एकत्रित किया जा रहा है।
निर्वाचन आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। खैर इन्हें इससे कोई लेना देना नहीं है, सरकार बन जाए बस एक बार। रोचक तथ्य यह है कि सोशल मीडिया की ऊहापोह बताती है कि इस बार सब कुछ पहले की भाँति इतना आसान नहीं होने वाला है, एक अच्छा खासा युवा वर्ग बिहार की राजनीतिक, प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव चाहता है, जनता अब तक खुद को ठगा महसूस कर रही है, उन्हें उनका हक भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में बिहार में राजनेताओं के लिए बहुत कठिन है डगर पनघट की।