
मिलन लाईफ लाईन आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र कुल्हड़ीया परवत्ता खगड़िया में औरतों संबधित PCOD,PCOS( कष्टदायक माहवारी बांझपन नपुंसकता ) जैसी बिमारी पर बात चीत डॉ०पी०कुमार से
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पीसीओडी के लक्षणों में अनियमित माहवारी या पीरियड्स नहीं आना, दर्दभरा व लम्बा मासिक धर्म, चेहरे पर अनचाहे बाल, मुंहासे, पेल्विक दर्द, संतान प्राप्ति में कठिनाई होना है।
पीसीओडी की समस्या होने पर ना तो महिलाओं को पीरियड्स ही ठीक से हो पाते हैं और ना ही उन्हें प्रेग्नेंसी हो पाती है। इसलिए इस समस्या के कारण महिलाएं शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से परेशान रहती हैं। डॉ०पी०कुमार से जानें, इस बीमारी से जुड़ी हर वो बात जो आपको पता होनी चाहिए...PCOD यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज महिलाओं में होनेवाली आम समस्या बन गई है। इस बीमारी में हॉर्मोन्स के कारण ओवरी में छोटी-छोटी सिस्ट यानी गांठ हो जाती हैं। इन सिस्ट के कारण महिलाओं में बड़े स्तर पर हॉर्मोनल बदलाव होने लगते हैं। क्योंकि ये सिस्ट पीरियड्स और प्रेग्नेंसी दोनों को डिस्टर्ब करती हैं...पीसीओडी की समस्या महिलाओं में काफी तेजी से बढ़ रही है। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ऐंड रिसर्च के अनुसार हमारे देश में करीब 10 प्रतिशत महिला आबादी पीसीओडी की समस्या से जूझ रही है। इस समस्या के कारण बॉडी में हॉर्मोनल डिसबैलंस हो जाता है। इससे चेहरे पर रोए और शरीर के दूसरे अंगों पर घने बाल उगने लगते हैं।सेक्स के प्रति रुझान में कमी पायी जाती है स्तनो का आकार समान्य से भी कम होती है। फीमेल हारमोंस का अभाव देखने को मिलता है। ये इस समस्या के सामान्य लक्षण हैं।
हालांकि ऐलोपैथ चिकित्सा पद्धति में इस बीमारी की मुख्य वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है। लेकिन आयुर्वेद एक्सपर्ट्स डॉ०पी०कुमार का मानना है कि लाइफ में तेजी से बढ़ा स्ट्रेस, बदला हुआ लाइफस्टाइल, लेट नाइट तक जागना और फिर दिन में देर तक सोना, स्मोकिंग और ड्रिकिंग में महिलाओं का बढ़ता शौक ग्रामीण महीला की अपेक्षा शहरों में रहने वाली महीलाओं में ज्यादा आदि पीसीओडी के मुख्य कारण हैं। क्योंकि इनसे महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स का स्तर गड़बड़ा जाता है।
आयुर्वेद एक्सपर्ट्स डॉ०पी०कुमार का कहना है कि पीसीओडी की समस्या उन महिलाओं में अधिक देखने को मिल रही है, जो नाइट शिफ्ट में काम करती हैं। पूरी रात जागना देर रात खाना जैसी लाइफस्टाइल उनकी सेहत को भारी नुकसान पहुंचा रही है। क्योंकि इस तरह के रुटीन से बायॉलजिकल क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है। जो इस दिक्कत को बढ़ाने में बड़ा रोल निभा सकती है।
पहले सिर्फ लेट उम्र में शादी करने के कारण पीसीओडी की समस्या का महिलाओं को सामना करना पड़ता था लेकिन अब 15 से 16 साल की उम्र की लड़कियां भी इस दिक्कत से ग्रसित हो रही हैं। इनमें पीसीओडी के लक्षण चेहरे और शरीर के अंगों पर घने बाल उगने, पीरियड्स के समय बहुत अधिक दर्द होने, हेवी ब्लीडिंग होने या समय पर पीरियड्स ना होने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
प्रेग्नेंसी और पीरियड्स में दिक्कत करती है PCOD
बॉडी पर पीसीओडी का असर
-पीसीओडी की समस्या होने पर महिलाओं को गर्भधारण करने में तो दिक्कत आती है।
-साथ ही वे हॉर्मोनल इंबैलंस के कारण भावनात्मक रूप से बहुत अधिक उथल-पुथल का सामना करती हैं।
-इस बीमारी में वजन तेजी से बढ़ने लगता है जबकि कुछ महिलाओं को हर समय कमजोरी की शिकायत रहती है।
- पीरियड्स में किसी को कम ब्लीडिंग होती है तो किसी को बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है।
आपका डेली रुटीन हो ऐसा
-जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि पीसीओडी की समस्या हॉर्मोन्स से संबंधित है। इसलिए आपको अपनी लाइफस्टाइल को इस तरह मैनेज करना होगा कि हॉर्मोन्स का सीक्रेशन सही तरीके से हो सके।
आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ०पी०कुमार की राय माने तो
पॉलिसिस्टिक ऑवेरियन सिंड्रोम एक हॉर्मोनल डिसऑर्डर है, जो आमतौर पर युवा महिलाओं में देखा जाता है, जो वर्तमान समय में यह विकराल रूप धारण करते जा रहा है, ऐसी स्थिति में आप आयुर्वेद के रजिस्टर्ड चिकित्सक से ही सलाह मशविरा करके चिकत्सक के अनुसार नियमित आयुर्वेदिक औषधियों का इस्तेमाल करें।
डॉ०पी०कुमार BAMS/MD
(आयुर्वेद एक्सपर्ट पंचकर्म एवं डायटिशियन विशेषज्ञ)
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Dr.P.Kumar BAMS/MD
(आयुर्वेद एक्सपर्ट्स पंचकर्म एवं डायटिशियन विशेषज्ञ)
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