
आज का किया हुआ कर्म ही हमारा कल का भाग्य बनता है:स्वामी श्री चेतनानन्द गिरीजी महाराज
(शिवरात्रि के पावन पर्व पर कथा विश्राम के बाद होगा दिव्य रुद्राक्ष का वितरण)
मोरवन : महाशिव रात्री के पावन अवसर पर ग्राम मोरवन बाला जी आंगन में चल रही चार दिवसीय महाशिव गुणगान कथा स्वामी श्री चेतनानन्द गिरि (श्री महन्त राष्ट्रीय प्रवक्तापंचदशनाम आवाह्न अखाड़ा हरिद्वार) मुखारविंद से कथा चल रही है। गुरुवार तीसरे दिन की कथा में व्यास पीठ पर विराजित स्वामी श्री चेतनानन्द गिरी जी महाराज ने बताया आप का किया हुआ कर्म ही हमारा कल का भाग्य बनता है तीन प्रकार के कर्म होते हैं किर्यमान कर्म,संचित कर्म, प्रारब्ध कर्म। जो आज हमने कर्म किए हैं उन्हें हमें जरूर भोगने पड़ेंगे कर्मों में कोई छूट नहीं है चंद्रगुप्त ने पूछा था चाणक्य से गुरु देव आप बार-बार कहते हो कि चंद्रगुप्त जो होगा वह प्रारब्ध से ही होगा यदि मेरे प्रारब्ध में राजा बनना लिखा होगा तो मैं राजा बन जाऊंगा क्यों इतने परिश्रम करवाते हो तो चाणक्य कहते हैं चंद्रगुप्त यदि तेरे प्रारब्ध में यह लिखा हो कि तुम मेहनत करके ही राजा बनेगा।बात आती है की यदि हमारे प्रारब्ध से ही होना हे तो हम इतनी मेहनत क्यों करे,हनुमान चालीसा बड़ा सूत्रआत्मक ग्रंथ है कोई साधारण ग्रंथ नहीं है बाबा तुलसी दास जी ने हनुमान चालीसा में लिखा है कि तुमरे भजन राम जी को पावे जनम जनम के दुख विसरावे,मतलब बाबा जी ने यह नहीं कहा है कि दुख मिटाए लिखा है दुख भुलाए। जिस प्रकार बारिश होती है और ओले गिरते हैं उस बारिश में छाता शरीर को ओलो से बचाने का काम करता है प्रारब्ध मतलब ओले को रोका तो नही जा सकता लेकिन भजन रूपी छाते से बचा जा सकता है हमारे भजन, हमारी साधना हमारी गौ सेवा माता-पिता की सेवा,गुरु की सेवा वह हमारे छाते का काम करती है शारीरिक पीड़ा को पीड़ा न मानकर सहन करना यही तप है, स्वामी जी ने आगे बताया कि हिमालय के यहां मां मैना के गर्भ से मां अवतरित हुई। सभी लोग संत मुनि हिमालय की ओर चल दिए नारद जी भी हिमालय की ओर पहुंचे। हिमालय ने आदर सत्कार किए। भारत के मुनियों की विशेषताएं है भारत के सन्यासियों की विशेषताएं है वह नामकरण करता है राम कृष्ण नाम देता है परमपिता परमात्मा जब अवतरित होते हैं उनका नामकरण करना उनके गुरु बनना यह भारत के सन्यासी की विशेषता है यह भारत के सन्यासी की ताकत है गुरु अपने शिष्य के गले में कंठी डाल देता है यह डोरी प्रेम की डोरी है यह डोरी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करने देती है कबीर जी से वाराणसी में किसी ने पूछा यह डोरी क्यों बांधते हो कबीर जी ने जवाब दिया कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाऊँ। गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे तित जाऊँ॥ भक्त कबीर कहते हैं कि मैं तो राम का कुत्ता हूं, और नाम मेरा मुतिया है। मेरे गले में राम की ज़ंजीर पड़ी हुई है, मैं उधर ही चला जाता हु जिधर वह ले जाता है।तीसरे दिन की कथा में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे कथा के आखरी दिन शुक्रवार को शिव विवाह का प्रसंग सुनाया जाएगा*
*शिवरात्रि के पावन पर्व पर कल होगा रुद्राक्ष का वितरण*
*मोरवन बालाजी आंगन में चल रही कथा विश्राम के बाद कथा में उपस्थित सभी भक्तजनों को गुरु जी के हाथों से दिव्य रुद्राक्ष वितरण किए जाएंगे व शिवरात्रि के पावन पर्व पर रात्रि में 8 बजे से भगवान शिव का चारो प्रहर का महाभिषेक किया जाएगा।*
*चार दिवसीय महाशिव गुणगान का आयोजन -निलाद्री रॉय, कॉलोनाइजर, मोहन सिंह जाट (नानपुरिया वाले) एवं समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से किया जा रहा है।*