डर के साये में खंडवा के आदिवासी लोग
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की जनपद पंचायत खंडवा के अंतर्गत ग्राम पंचायत ढोरानी के रहने वाले बजुर्ग कस्तूरी बाई करन सिंह जिनकी उम्र 60 साल से अधिक से ज्यादा है ,परिवार अति गरीब है किन्तु मुफ्त राशन मिलने वाले परिवारों की सूचि में इस परिवार का नाम दर्ज नहीं है , दर्ज हो भी कैसे जब मध्य प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा मिसन के लिए समग्र परिवार आई डी महत्त्व पूर्ण है और वृद्ध दंपत्ति की परिवार आई डी नहीं बनी है |ना ही गरीब बुजुर्गो को मिलने वाली पेंसन का लाभ ले पा रहे है और आवास योजना इन तक वंचित आदिवासी वंचित आदिवासीवंचित समुदायपहुची है जहाँ एक ओर सरकार गरीब कल्याण अन्न योजना से कई भूखे पेट भरने का काम कर रही है वही यह बुजुर्ग दम्पति को मजदूरी करके अपना गुजारा करना पड़ रहा है आज की तारीख में जहाँ पर सरकारी दफ्तर के खुलते है आवेदनों का के ढेर दफ्तर में लग जाता है , दम्पति इस दुविधा में है की किसको कहे क्यूंकि पढ़े लिखे नहीं है विचित्र बात तो यह है की सरकारी कर्मचारी लोगो को लाभान्वित करने का विचार रखते ही नहीं अगर कोई अर्जी लेकर पहुच जाये तो कागज रख कर भूल भी जाते है क्यूंकि गाव के लोग पात्रता के कागज देते है ,अर्जी लिखकर देते नहीं और प्राप्ति रसीद वो भी पंचायत से बहुत दूर की बात है इक्का दुक्का ले गए तो वह अपवाद स्वरुप है |समाज के अंतिम व्यक्ति तक यह लाभ पहुचना चाहिए | कस्तूरी बाई एक वृद्ध महिला है ;यकीन फिर भी मजदूरी करके अपना जीवन जी रही है क्यूंकि असली हकदार को योजना में खाना नहीं मिल रहा है |असली हकदार की पहचान करने में आखिर इस सरकार को कौन से कर्मचारी नियुक्त करने होंगे |गरीब कल्याण अन्न योजना के पीछे सरकार की भावना बेहद ही प्रससंनीय है किन्तु फिर भी दम्पति को राशन नहीं मिल रहा है