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चार की जगह एक काउंटर घंटों इंतजार के बाद लौट जाते खाताधारक, स्टाफ की कमी से जूझ रही खुरई एसबीआई की ब्रांच

खुरई। एसबीआई ब्रांच में स्टाफ की कमी से न केवल बाकी कर्मचारी परेशान है उपभोक्ताओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले एक दशक में स्टेट बैंक में खाता धारकों की संख्या दुगने से अधिक हो गई लेकिन स्टाफ बढ़ने की बजाये आधा भी नहीं बचा। घंटों लगी रहतीं लंबी लाईनें बैंक कर्मचारी कम होने के कारण केश लेन देन के चार काउंटर में से एक ही चालू रहता है। जिससे सभी खाताधारक एक ही काउंटर पर अपना काम कराते है, इस वजह से लंबी लाईन लग जाती है और घंटों बाद नंबर आता है। इसी बीच लंच हो जाये तो और मुसीबत कई बार तो ऐसा होता है कि बैंक बंद होने के समय तक लोग लाईन में लग रह जाते हैं। बैंक सिस्टम आन लाईन होने के कारण समय से पूरा लेखा जोखा करके कंप्यूटरों द्वारा क्लोजिंग की जाती है। बैंक से बाहर निकल रहे रुसल्ला गांव निवासी 75 वर्षीय बुजुर्ग सोमत अहिरवार ने बताया कि वह लाईन में ही लगा रहा बैंक बंद हो गया जिससे उसका काम नहीं हो पाया। करोड़ो का व्यवसाय बढ़ा लेकर खर्च कम किया देखने में आ रहा है कि बैंक प्रबंधन ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में कर्मचारियों की जगह मशीनों से काम कराना चाहता है। एक बार मशीन की लागत के बाद वेतन की समस्या नहीं होती लेकिन बैंक की अधिकांश मशीनें या तो खराब होती रहती हैं या काम नहीं करतीं। अधिकांश लोग कम जानकार होने से इन मशीनों का उपयोग भी करना नहीं जानते। पिछले एक दशक में बैंक का व्यवसाय कई गुना बढ़ गया लेकिन उपभोक्ताओं की सुविधाओं के लिये पैसा खर्च करने की मंशा नहीं है। कई बार उपभोक्तओं ने बैंक प्रबंधन की गलत नीतियों को लेकर सुझाव दिये और शिकायतें की लेकिन कोई असर नहीं।

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