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दुष्कर्म के आरोपी को सजा

➡️अवयस्क संग दुष्कर्म के प्रयास के आरोपी को सात वर्ष का कारावास

➡️एससीएसटी कोर्ट ने सुनाया फैसला , लगाया ₹ 25 हजार का अर्थदण्ड

➡️कोर्ट ने आरोपी को जान से मारने व एससीएसटी के आरोप में किया दोषमुक्त

संत कबीर नगर । अनुसूचित जाति की अवयस्क किशोरी के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने के आरोपी को एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट जितेन्द्र सिंह द्वितीय की कोर्ट ने सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई । कोर्ट ने सजा के साथ आरोपी ऋषिमुनि यादव पर 25 हजार रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया है । अर्थदण्ड का भुगतान न करने पर आरोपी को एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा । कोर्ट ने आरोपी को एससीएसटी एक्ट व जान से मारने के आरोप में दोषमुक्त करने का फैसला दिया है । इसके अतिरिक्त कोर्ट ने अर्थदण्ड की धनराशि में 20 हजार रुपए पीड़िता अथवा उसके नैसर्गिक संरक्षक को देने का भी फैसला दिया है ।
मामला जिले के धनघटा थानाक्षेत्र के एक गांव का है । विशेष लोक अभियोजक आशीष प्रसाद पांडेय ने बताया कि प्रकरण में पीड़िता की मां ने अभियोग पंजीकृत कराया था । वादिनी का आरोप था कि वह अनुसूचित जाति की धोबी एवं गरीब मजदूर महिला है । दिनांक 10 अप्रैल 2009 को खेत में गेंहू की कटाई कर रही थी । उसकी 14 वर्षीय अवयस्क पुत्री घर पर अकेली थी । शाम को समय लगभग सात बजे राम सुमेर यादव का रिश्तेदार ऋषिमुनि पुत्र रामकुमार यादव ग्राम सकूरचक थाना धनघटा लड़की को अकेली देखकर शराब के नशे में घर में घुस गया और पटक कर जबरदस्ती उसके साथ दुष्कर्म किया । लड़की छटपटा कर विरोध करने लगी तो उसे डांटकर चुप कराने लगा और अंधेरे का लाभ लेकर घर से भाग गया । वादिनी के पूछने पर पुत्री ने रोते हुए घटना के बारे में बताया । वादिनी थाने पर जाने लगी तो राम सुमेर यादव ने जान से मारने की धमकी दिया । पुलिस ने दुष्कर्म एवं जान से मारने व एससीएसटी एक्ट का अभियोग पंजीकृत किया । विवेचना के उपरांत पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया । विशेष लोक अभियोजक आशीष प्रसाद पांडेय ने बताया कि अभियोजन ने चार गवाह न्यायालय में प्रस्तुत किया । पक्षों को सुनने के पश्चात एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश एससीएसटी जितेन्द्र सिंह द्वितीय की कोर्ट ने आरोपी ऋषिमुनि को दुष्कर्म के प्रयास का दोषसिद्ध करार दिया । जबकि कोर्ट ने एससीएसटी एक्ट एवं जान से मारने के आरोप में आरोपी को दोषमुक्त करने का फैसला दिया ।

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