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भारतीय कला: सांस्कृतिक धरोहर का सजीव चित्र !

भारतीय कला, एक अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है जो विभिन्न युगों, क्षेत्रों, और सांस्कृतिक समृद्धि की गहराईयों में बसी हुई है। इसका अनुभव करना एक साहित्यिक और कलात्मक यात्रा है जो हमें उन समय-समय पर विभिन्न रूपों में प्रस्तुत होती है।

1. प्राचीन कला:
भारतीय कला का आरंभ प्राचीन सभ्यताओं से होता है, जिनमें मोहेंजोदारो सभ्यता और वेदिक संस्कृति शामिल हैं। मोहेंजोदारो की मोहक मूर्तियों और वेदों के शिल्प में छुपा उदाहरण हमें बताते हैं कि यहां कला ने समृद्धि की ऊँचाइयों को छुआ था।

2. स्थापत्यकला:
भारतीय स्थापत्यकला ने मन्दिरों, राजमहलों, और समाज के सार्वजनिक स्थलों की सुंदरता को नए आयाम दिए हैं। खगोलशास्त्र और सांस्कृतिक मौखिकी से इसका गहरा संबंध है, जिसने हमें समृद्धि और तकनीकी उन्नति की कहानी सुनाई।

3. शैली और कला के विकास:
भारतीय कला में विभिन्न शैलियों और कला विकास की गहरी ऊँचाइयों को दर्शाती हैं, जैसे कि मिथिला पेंटिंग, भारतनाट्यम, और कलाकृतियों की सुंदर दुनिया।

4. आधुनिक कला:
आधुनिक कला में, भारतीय कला ने ग्लोबल दृष्टिकोण से नए रूपों में प्रकट होने का संदेश दिया है। चित्रकला, सिनेमा, और संगीत में भी भारतीय कला ने अपनी पहचान बनाई है।

भारतीय कला, अपनी सौंदर्यशास्त्रीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, हमें जीवन की सुंदरता और आत्मा के साथीपन की अद्भुतता को समझाती है। यह एक समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है, जो आज भी हमारे समाज में जीवंत है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना हुआ है।

रिपोर्टर - अश्विनी कुमार तिवारी
सीधी मध्य प्रदेश
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[ Satayarth News ]

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