
असली भ्रष्टाचारी कौन
किशनगंज : भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट+आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो। जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरूद्ध जाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है।
भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज किशनगंज जिले में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़ें तेजी से फैल रही हैं। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो यह पूरे बिहार को अपनी चपेट में ले लेगा।
हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो सरकारी दफ्तर में बैठ कर घूस यानी रिश्वत लेता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो सरकारी दफ्तर में बैठे अधिकारी को घूस यानी रिश्वत देता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो पैसे लेकर वोट देता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो वोट के लिए पैसा देता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो चुनाव में धांधली करता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो परीक्षा में छात्रों को नकल करने में मदद करता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो टैक्स चोरी करता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो झूठी गवाही देता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो झूठा मुकदमा दर्ज करवाता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो पैसे लेकर रिपोर्ट छापता है। हर वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी है जो अपने सही कार्यों को करवाने के लिए नकद राशि देता है एवं अपने साथ हुए अन्याय और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज नही उठाता है।
जीवन का कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार के प्रभाव से मुक्त नहीं है। अगर सिर्फ इसी साल की बात करें तो ऐसे कई उदाहरण हैं जो भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं।
यह एक संक्रामक रोग की तरह है। समाज में विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए। आज भ्रष्टाचार की स्थिति यह है कि व्यक्ति रिश्वत के मामले में पकड़ा जाता है और रिश्वत देकर ही छूट जाता है।
जब तक इस अपराध के लिए कड़ा दंड नही दिया जाएगा तब तक यह बीमारी दीमक की तरह पूरे देश को खा जाएगी। लोगों को स्वयं में ईमानदारी विकसित करना होगी। आने वाली पीढ़ी तक सुआचरण के फायदे पहुंचाने होंगे।