वो देश कहा
वो देश कहा, वो भेष कहा, जो था सबका सपना, है सामने नयन का जो न था किसी की कल्पना. कही हिन्द की रीत नही, दिल मे किसी की प्रीत, दलगत नीति हावी है राष्ट्र का कोई हित नही!