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गौमाता की हालत बहुत ही दर्दनात्मक मुख्य बाजार की सड़कों व चौराहों पर घूमने और कड़ाके की ठंड में जीने को मजबूर।

छबड़ा: शहरवासियों ने बताया कि अभी सर्दियों का मौसम चल रहा है, लगभग 10 दिन से लगातार कड़ाके की ठंड पड़ रही व भयंकर कोहरा छा रहा हैं, रात में बर्फ तक जम जाती हैं, जनमानस तो ठंड से बचने के लिए अलग-अलग उपाय कर लेता हैं। परन्तु सवाल तो यह है कि पशु पक्षी जीव जंतुओं में भी आत्मा हैं और उन्हें भी ठंड लगती हैं, इनमें से एक गौवंश भी हैं, हिंदू धर्म में गाय को गौमाता का दर्जा मिला है और हिंदू धर्म को मानने वाले लोग गाय को अपनी माता मानते और उसकी पूजा अर्चना करते, हिंदु धर्म को मानने वालों का यह मत है की गाय में 33 कोटि देवता विराजमान हैं। सरकार भी समय समय पर लगातार गायों के लिए सुरक्षा का प्रबन्ध करती और गौशालाओं में अनुदान भी देती है, और लगभग सभी शहरों में गौशालाएं संचालित भी हैं इसके बाद भी गौमाता (गौवंश) की हालत बहुत ही दर्दनात्मक है। आज के समय में गौमाता सड़कों और चौराहों पर घूमने को मजबूर है, ठंड से हालत यह कि कहीं भी जलती आग के सामने गौमाता खड़ी होकर तापने को मजबूर हैं, और चारा नहीं मिलने से सड़क पर पड़े कचरे व पॉलिथीन खा कर अपना पेट भरती हैं, सड़े गले कचरे पॉलिथीन को खाने से बीमार पड़ जाती हैं और दर्दनाक मौत हो जाती। ऐसे में गौमाता की दुर्दशा पर आंसू बहाना पड़ रहा है। सरकार, जनप्रतिनिधियों और गौ भक्तों को गौमाता की सुरक्षा व बचाव के उचित प्रबंध करना चाहिए।

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