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*लेखक चिंतक संदीप पांडेय ने फ़लस्तीन मामले में अमेरिका के इजरायल का साथ देने पर अवार्ड वापस किये*लेखक-चिंतक एवं सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव संदीप पांडेय ने 30 दिसंबर की रात को वर्ष 2002 में मिले प्रतिष्ठित पुरस्कार रेमन मैग्सेसे को वापस करने की घोषणा की है.साथ ही उन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालयों से हासिल की गई डिग्रियां भी लौटाने की घोषणा की है. उन्होंने यह क़दम इसराइल-फ़लस्तीन संघर्ष में अमेरिका की भूमिका के चलते उठाया है.उन्होंने इन सवालों के जवाब में कहा, “इस अवॉर्ड को वापस करने का मन तो कुछ समय पहले बना चुका था लेकिन मैं ये ज़रूर कहूंगा कि इस ठोस निर्णय को लेने में मुझे महिला पहलवानों से प्रेरणा मिली. उनके सामने एक बहुत शक्तिशाली आदमी है जो सत्ता पक्ष से जुड़ा है. इसके बावजूद जब विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने उसके ख़िलाफ़ निर्णय लिया और फुटपाथ पर जाकर अपने मेडल रख दिए तो मुझे उनकी बहादुरी ने प्रेरित किया.”संदीप पांडेय ने अवॉर्ड वापसी की घोषणा की मुख्य वजह के बारे में बताया, “वर्तमान में अमेरिका फ़लस्तीन के ख़िलाफ़ युद्ध में बेशर्मी से खुलकर इसराइल का साथ दे रहा है और अभी भी इसराइल को हथियार बेच रहा है. ऐसे में मेरे लिए यह असहनीय हो गया है कि मैं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार रखूं, इसलिए इसे लौटाने का फैसला लिया है.”*अमेरिकी विश्वविद्यालयों की डिग्रियां भी वापस करेंगे*संदीप पांडेय ने न्यूयॉर्क स्थित सिरैक्यूस विश्वविद्यालय से मैन्यूफैक्चरिंग व कम्प्यूटर अभियांत्रिकी की और कैलिफोर्निया के विश्वविद्यालय बर्कले से मैकेनिकल अभियांत्रिकी की डिग्रियां हासिल की थीं. वे इसे भी लौटा रहे हैं.हालांकि वे स्पष्टता से कहते हैं कि अमेरिकी जनता या अमेरिका से उनका कोई विरोध नहीं है.वो कहते हैं कि अमेरिका में मानवाधिकारों के उच्च आदर्शों का पालन होता है. लेकिन ऐसा तीसरी दुनिया में भी हो, अमेरिका इसको लेकर चिंतित नहीं है.संदीप पांडेय को जब पुरस्कार मिला था, तब भी ये पुरस्कार अमेरिकी संस्थाएं ही प्रायोजित कर रही थीं, ऐसे में एक सवाल यह भी उभर रहा है कि उन्होंने इसे स्वीकार ही क्यों किया था.इसके जवाब में वे कहते हैं, “वहां जाने से पहले तक केवल यह पता था कि यह बहुत बड़ा अवॉर्ड है. मैग्सेसे के बारे में सुना था कि वो कम्युनिस्ट विरोधी थे. उस वक़्त 2001 में अमेरिका पर आतंकवादी हमला हुआ था. एसोसिएट प्रेस के एक पत्रकार ने उस प्रेस कांफ्रेंस में पूछा कि अमेरिका की आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध की जो नीति है उस पर क्या कहना है? मैंने कहा कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी देश है.”