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खलीलाबाद ब्लाक के गांव में मनरेगा द्वारा फर्जी मास्टररोल का खेल जारी ,*


*मनरेगा के तहत गांव में हो रहे कार्य से पूरे के पूरे मजदूर होते है धरातल से गायब।*
*प्रधान और सचिव की मिलीभगत से सिर्फ कागजों में ही निपटा दिए जाते हैं मजदूर, कर दिया जाता है करोड़ों का भुगतान*
*केंद्र सरकार की मनरेगा योजना पर ग्राम प्रधान और सचिव मिलकर लगा रहे करोड़ों की चपत जिम्मेदार अधिकारी मौन।*

*रिपोर्ट - आज्ञाराम चौधरी एडवोकेट*

*संतकबीरनगर* : हमेशा मनरेगा में फर्जी मास्टररोल और फर्जी भुगतान के मामले में सेमरियावा,नाथनगर,हैसर, बघौली,और साथा ब्लाक का नाम सबसे पहले सामने आता था लेकिन,एक कहावत गांव में कही जाती है कि कोहड़ा, कोहड़े को देख कर रंग बदलता है ठीक उसी तरह खलीलाबाद ब्लॉक भी उन ब्लाको की तरह मनरेगा कार्यों में फर्जी मास्टर रोल और उनके भुगतान में सभी ब्लाको को पीछे छोड़ अव्वल नंबर पर अपनी जड़े जमा रहा है।

मामला क्या है

हम बात करते है महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना यानी की मनरेगा की जिसके तहत सरकार तमाम निचले स्तर के गरीब असहाय मजदूर को मनरेगा में 100 दिन का कार्य देने के लिए कटिबद्ध है। परंतु वही देखा जा रहा है कि, खलीलाबाद मुख्यालय का ब्लॉक यानी खलीलाबाद ब्लाक ऐसे ग्राम प्रधान और सचिव का अड्डा बनता जा रहा है जो केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना मनरेगा के नियमों को ताक कर रख कर खुद की खाऊं कमाऊ नीति से उसकी गाइडलाइन के विपरीत फर्जी मस्टरोल का सहारा लेकर फर्जी भुक्तान कराने में लगे है।जानकारों की माने तो बृहस्पतिवार को कड़के की ठंड और तापमान तकरीबन 19 से 25 डिग्री सेल्सियस जो सुबह से ही शरीर को गला देने वाली हो सभी अपने अपने घरों में दुबक कर बैठे है सायद प्रधान और सचिव भी बाहर निकले के लिए सोचते होगे, लेकिन गांव में प्रधान मनरेगा के मस्टरोल से खेल रहे थे। और ब्लॉक कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर लाखों का वायरा न्यारा कर रहे थे।

बृहस्पतिवार 4 जनवरी 2024 कड़के की ठंड तापमान 19से 25 डिग्री सेल्सियस , इन गांव में फर्जी तरीके से चल रहे थे मास्टरोल।

➡️ एकमा 4 प्रोजेक्ट 27 मजदूर
➡️ बंकटिया 1 प्रोजेक्ट 50 मजदूर
➡️ भरपुरवा 3 प्रोजेक्ट 73 मजदूर
➡️ डढवा 3 प्रोजेक्ट 100 मजदूर
➡️ दलेलगंज 15 प्रोजेक्ट 99 मजदूर
➡️ धमईचा 1 प्रोजेक्ट 23 मजदूर
➡️धमरजा 3 प्रोजेक्ट 28 मजदूर
➡️ धरईची 4 प्रोजेक्ट 76 मजदूर
➡️ दुलहीपार 2 प्रोजेक्ट 52 मजदूर
➡️ गड़सरपार 11प्रोजेक्ट 127 मजदूर
➡️ गिरधरपुर 3 प्रोजेक्ट 52 मजदूर
➡️ हाड़ापार 3 प्रोजेक्ट 82 मजदूर
➡️ इमिलडिहा 3 प्रोजेक्ट 325 मजदूर
➡️ कौआथोड़ 1प्रोजेक्ट 49 मजदूर
➡️ केरमुआ माफी 3 प्रोजेक्ट 59 मजदूर
➡️ उरदाहवा 3 प्रोजेक्ट 104 मजदूर
➡️ महुंई 3 प्रोजेक्ट 152 मजदूर
➡️ मीरगंज 1 प्रोजेक्ट 49 मजदूर
➡️पड़रिया 2 प्रोजेक्ट 33 मजदूर
➡️ पकड़ीहा 12 प्रोजेक्ट 143 मजदूर
➡️ रानीपार 1 प्रोजेक्ट 29 मजदूर
➡️ रसूलाबाद 3 प्रोजेक्ट 74 मजदूर
➡️ रऊतापार 1प्रोजेक्ट 117मजदूर
➡️ सेमरा 4 प्रोजेक्ट 40 मजदूर
➡️ तरैनी 7 प्रोजेक्ट 102मजदूर
➡️ उमरी खुर्द 1 प्रोजेक्ट 31 मजदूर
➡️ उपरौध 1 प्रोजेक्ट 50 मजदूर
➡️ विस्वनाथापुर 1 प्रोजेक्ट 13मजदूर
जैसे और दर्जनों गांव में फर्जी तरीके से मस्टररोल चालू कर ब्लॉक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर मनरेगा मजदूर अदृश्य होकर जॉब कार्डो में अपनी हाजिरी लगा कर ,प्रतिदिन तकरीबन 6 लाख 25 हजार 830 रुपए केंद्र सरकार को चपत लगा कर भुगतान करने में लगे है। कड़ाके की ठंड में इतने सारे मजदूर काम कर रहे हैं तो इसकी जानकारी लेने के लिए जब ब्लॉक परिसर में पहुंचा तो बीडीओ विनोद मणि त्रिपाठी ने कहा की मामला संज्ञान में है जांच की जाएगी और सारा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। जब हमारी टीम ने इन गांव में जाकर कार्यों का सत्यापन किया तो इक्का दुक्का काम को छोड़ कही मजदूर तो मजदूर गांव में कहीं कोई काम होता धरातल पर नहीं दिखा।
मेरा मानना है की अगर जिले के जिम्मेदार अधिकारी इन मामलों को संज्ञान में लेकर इन कार्यों का अस्थलीय निरीक्षण करे तो सरकार के करोड़ों रुपए गमन होने से बच जाएंगे और शायद एक ब्लॉक और सीबीआई के जद में आने से भी बच जाएगा।

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