
जयपुर में प्रेमभाया समिति का 80 वां त्रिदिवसीय प्रेमभाया महोत्सव
जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर के चांदपोल बाजार में स्थित जयलाल मुंशी का रास्ता में युगल कुटीर पूरी तरह से रंग बिरंगी रौशनी में दुल्हन की तरह सजा हुआ नजर आ रहा था। लगभग 80 वर्ष से इसी प्रकार से प्रेमभाया समिति इस भव्य प्रेम भाया महोत्सव को उत्सवी माहौल में आयोजित करते हैं।
पुरे प्रदेश वासियों को इंतजार रहता है। इसी कड़ी में सोमवार 16 मार्च को प्रेमभाया महोत्सव का विधिवत शंखनाद के साथ वैदिक मंत्रौचारण से पंचामृत अभिषेक के साथ आगाज हुआ इस बार ये 80 वा महोत्सव है। सोमवार रात्रि से ढूंढाडी विरासत को सहजने के लिए भव्य त्रिदिवसीय भक्ति संगीत समोरोह का आरम्भ हुआ। इसमें प्रेम भाया समिति के सदस्यों एवम सुप्रसिद्ध भजन गायकों ने अपने भाव भरे भजनों से प्रेम भाया सरकार को रिझाया।
समारोह में भक्ति संगीत का आरम्भ समिति के संरक्षक ललित किशोर शर्मा ने गणेश वंदना ‘जय गणपति गणराज..’ से किया इसके बाद प्रसिद्ध गायक गौरव जैन, दीपा जैन ने ‘मन राम सुमिर तिर जायेगा, फिर करनी पर पछतायेगा’, गोपाल सैन ने ‘घनश्याम म्हारा हिवड़ा में रम ज्याजोजी’, भानु कुमार, सन्नी चक्रधारी, रामस्वरूप दास आदि प्रसिद्ध भजन कलाकारों ने भक्त युगलजी की ढूंढाडी भाषा में रचनाओं से भक्तिरस की वर्षा की। समारोह में मंच संचालन राजेश आचार्य ने किया।
समिति के अध्यक्ष विजय किशोर शर्मा ने बताया कि, ‘पारम्परिक रूप से मनाया जाने वाले प्रेम भाया महोत्सव के प्रेरणास्रोत भक्त शिरोमणि युगल किशोर जी शास्त्री ने शीतलाष्टमी को सन 1940 में भगवान कृष्ण के बालस्वरूप को जयपुर की ढूंढाडी भाषा में श्रीप्रेमभाया सरकार नाम प्रदान कर उनके जन्म अभिषेक के त्रिदिवसीय भक्ति संगीत समारोह की स्थापना की थी। उसी समय से शीतलाष्टमी से त्रिदिवसीय भव्य ये प्रेम भाया जन्मोत्सव समारोह आयोजित हो रहा है।’
मंगलवार 17 मार्च को दिन में महिला मंडल द्वारा भक्ति संगीत कार्यक्रम आयोजित किया गया। तदुपरांत मंगलवार रात्रि में 8 बजे से पूरी रात्रि भक्ति संगीत कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे ख्यातिप्राप्त कलाकारों ने अपनी मधुर वाणी से श्रद्धालुओं को भावविभोर किया। बुधवार 18 मार्च को शाम 7 बजे युगल कुटीर से नगर संकीर्तन निकाला जायेगा जो शहर के प्रमुख मार्गो से होता हुआ गुरुवार की प्रातः सत्संग स्थल पर आकर संपन्न होगा। इसी के साथ महोत्सव का समापन होगा।