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ब्लूटूथ

ब्ल्यूटूथ...

"The Forgotten Child Of Wireless Connectivity"

यही नाम दिया गया है इसे अब। यह टेक्नॉलॉजी आई और अपने बाल्यकाल में ही चल बसी। वो तो भला हो स्मार्ट वॉचेज, हैडसेट्स और एयरडोप्स का जिनके कारण आज भी यह मोबाइल फोन्स में अपने बाल रूप में विद्यमान है।

उद्भव तो इसका बहुत पहले हो चुका था मगर भारत में यह लगभग 2000 में आई सोनी एरिक्सन के फ़ोन्स में।

इसे ब्ल्यूटूथ नाम दिए जाने के पीछे भी एक कहानी है। इसे ब्ल्यूटूथ नाम देने वाले इंटेल के वैज्ञानिक जिम करदाच उन दिनों The Long Ship नामक एक नावेल पढ़ रहे थे जो वाइकिंग्स और दसवीं शताब्दी के डेनिश किंग हेराल्ड ब्ल्यूटूथ के बारे में था। हेराल्ड ब्ल्यूटूथ ने विभिन्न डेनिश ट्राइब्स को एक छत्र के नीचे लाकर एक किंगडम बनाई। बस ऐसा ही कुछ यह टेक्नोलॉजी भी करने वाली थी तो इसे हेराल्ड ब्ल्यूटूथ के नाम पर #ब्ल्यूटूथ_टेक्नोलॉजी नाम दिया गया।

इसका जो लोगो है वह बेसिकली जर्मन लिपि में लेटिन अल्फाबेट h (ᚼ) और b (ᛒ) का बाइंडरन है। जो हेराल्ड और ब्ल्यूटूथ को ही डिनोट करते हैं।

ब्ल्यूटूथ टेक्नोलॉजी के बहुत से उपयोग थे मगर एक विशेष उपयोग की भी आशंका जताई गई और कहा गया कि अब प्रॉस्टिट्यूशन बढ़ेगा।

कैसे बढ़ेगा भाई?

देखो अभी किसी अनजान को अप्रोच करने के दो परिणाम हो सकते हैं... या तो सफलता या झन्नाटेदार थप्पड़।

तो ब्ल्यूटूथ क्या थप्पड़ रोक लगा?

यस... ब्ल्यूटूथ है तो पूछना, प्रोपोज करना आसान हो जाएगा।

कैसे भाई?

अब आपको पूछना नहीं पड़ेगा। अगर किसी का ब्ल्यूटूथ विजिबल है तो आप उसे एक्सेस कीजिये और अपनी इच्छा डिजिटली उस ब्ल्यूटूथ ओनर को ट्रांसफर कर दीजिए एक फाइल के रूप में। अगर पॉजिटिव केस है तो ब्ल्यूटूथ से ही मोबाइल नम्बर एक्सचेंज हो जाएंगे। डिजिटल प्रोपोजल एक्सेप्टिड।

खैर ऐसे कितने प्रोपोजल एक्सेप्ट हुए होंगे इंडिया में इसका तो कोई लेखा जोखा नहीं है। मगर इसके बाद उद्भव हुआ फेसबुक का... जिस पर अनजान लोगों से दोस्ती की जाने लगी। लोगों को अपने मनोभाव रीयल टाइम में व्यक्त करने का एक प्लेटफॉर्म मिल गया। गीत, कहानी, आलेख रचे जाने और शेयर किए जाने लगे। बाथरूम में गुनगुनाने वाले स्टार मेकर पर गुनगुना कर वर्ल्डवाइड शेयर करके वाहवाही लूटने लगे। लोग अपने सुख-दुख इसी पटल पर पब्लिक के साथ शेयर करने लगे। एक आभासी संसार का निर्माण हुआ और हम सब उस संसार में विचरण करने लगे। संसार में चोर उचक्के भी होते हैं तो इस संसार में भी चोर उचक्के पैदा हो गए जो दूसरे के कंटेंट को धड़ल्ले से चोरी करके अपने नाम से पोस्ट करके अपने आभासी मित्रों की तालियां और वाहवाही बटोरने लगे।

नेता लोग भी कहाँ पीछे रहने वाले थे। फेसबुक सरकारें बनाने गिराने लगी। #मोब_लिंचिंग का स्थान #डिजिटल_लिंचिंग ने ले लिया।

मगर जो काम ब्ल्यूटूथ टेक्नोलॉजी न कर पाई वह काम वर्तमान में फेसबुक पर चरम पर है। लाखों #शुगर_बेबी और #जिगोलो फेसबुक पर अड्डा जमाये हैं और लोगों के इनबॉक्स में घुसपैठ कर रहे हैं।

बहुत से नादान लोग इन हनीट्रैप्स में फंस भी जाते हैं और ये ट्रपर्स उनसे लाखों रुपये भी हड़प लेते हैं। आने वाले समय में यह डिजिटल एक्सटॉर्शन बिजनेस का रूप लेने वाला है। आवश्यकता है सावधान रहने की और अजनबियों की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करते समय सावधानी बरतने की।

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