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विधानसभा चुनाव विशेष:- इस बार किस करवट बैठेगा ऊंट.....

क्या? दलों के दलदल से मुक्त होगा सवाई माधोपुर इतिहास खंगाला तो मालूम हुआ पुरषों की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित रहा महिला विधायकों का कार्यकाल,सुशासन व विकास में ही बीते पांच साल
सवाई माधोपुर ( चन्द्रशेखर शर्मा)। कहते हैं,जनप्रतिनिधि जनता की आवाज होता है। इसीलिए जनप्रतिनिधि को अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ध्यान रखते हुए क्षेत्र के चहुमुँखी विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिये। इसके विपरित अगर बाड़ ही खेत को खाए तो फिर हालात बिगड़ते भी देर नहीं लगती है।
समाज का हर वर्ग अपने नेता/जनप्रतिनिधि से सुरक्षा, विकास और समस्या के त्वरित निराकरण की अपेक्षा रखता है। जनप्रतिनिधि द्वारा किये गये कार्य वर्तमान और भविष्य को विकास के पथ पर सुरक्षित और सदैव मार्गदर्शित करते रहते हैं। लेकिन अगर इन सबके विपरीत क्षेत्र में अन्याय , गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार का बोलबाला, अवैध बजरी खनन -परिवहन, माफिया राज, नारी व दलित उत्पीड़न, बालिका व महिलाओं पर अत्याचार तथा बलात्कार की घटनाएं, बाहुबली द्वारा सरेआम कमजोर के साथ मारपीट , निर्दोष व गरीब लोगों की निर्मम हत्याएं व उनको दी जाने वाली प्रताड़नाएं, तुष्टिकरण की राजनीति और यही नहीं सत्ता की आड़ में पुलिस व प्रशानिक महकमे का दुर्पयोग जैसी गतिविधियां व असामाजिक कृत्य जब क्षेत्र में अपनी हदें पार करें और इनपर नियन्त्रण होता हुआ नहीं दिखाई दे तो नारकीय जीवन जीने पर मजबूर आमजन ऐसे हालात पैदा करने वाले नेताओं व जनप्रतिनिधियों से नाराज़ होकर अपना बदला अवश्य लेना चाहेगा। हम मान सकते हैं कि ऐसी स्थिति में चुनाव ही वह औजार या हथियार है, जिसके दम पर मतदाता उक्त परिस्थितियों में बदलाव हेतु पूर्ण रूप से अवसर तलाशते हैं है। जनता को अनुपयोगी विकास से जुड़ी गतिविधियों ( प्रवेश द्वार निर्माण जैसे विकास कार्य की जगह पर्याप्त बिजली आपूर्ति, स्वच्छ पानी, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं की) की नितांत आवश्यकता है। इस आधुनिक जीवन में समय के साथ-साथ जनता भी नेता और उनके परिवार के सदस्यों की तरह अपने जीवन स्तर में सही ढंग से सुधार तो चाहती है है, जो की कानून उसका अधिकार भी है। चुनाव के समय हर घर की चौखट पर वोट पाने के लिए नाक तक रगड़ने वाले तथा मत एवं समर्थन के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपनाने वाले ये नेता/ जनप्रतिनिधि आगे चलकर उसी जनता के विश्वास पर खरे नहीं उतरते हैं जिसके दम पर उन्होंने जनता से वोट हासिल किए थे । समय आने पर वाकई में जनता की जमकर उपेक्षा की जाती है। यही मौका परस्त चुनाव जीतने के बाद उसके साथ समय आने पर राजा महाराजाओं की तरह व्यवहार दर्शाते हैं। जिसके चलते ऐसे नेता एवं जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जनता में न चाहते हुए भी अविश्वास पैदा होता चला जाता है। चुनाव के समय फिर इनको बात समझ में आती है की अब शायद हमारी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। जिसका हिसाब किताब चुनाव में ही होना है ।
सवाई माधोपुर में ही नहीं बल्कि समूचे देश में ऐसे ही जनप्रिय नेताओं /जनप्रतिनिधियों की भरमार है। अबकी बार जनता फिर से बदलाव चाहती है, देखा जाए तो सवाई माधोपुर विधानसभा में पुरुषों की अपेक्षा पिछले वर्षों में महिला जनप्रतिनिधियों ने अच्छा किरदार निभाया है। जिसके चलते सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र में सुख- शांति , अमन-चैन और भाईचारे जैसी स्थिति हमेशा कायम रही, और तो ओर गैर कानूनी व अपराध व आपराधिक गतिविधियां में भी कमी आई तथा नियंत्रण रहा। समय-समय पर प्रशासनिक स्तर पर जनता के सभी जरूरी आवश्यक कामकाज भी कानूनी तौर पर सही ढंग से संपन्न हुए एवं उनकी समस्याओं का स्थानीय स्तर पर मनमर्जी अनुसार समाधान भी हुआ और साथ में सुविधाओं का विस्तार भी नजर आया। लेकिन पिछले कुछ समय से सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र में ऐसे कई जटिल बदलाव नजर आए जिसके चलते यहां जनता जनार्दन का जीना हराम हो गया। जिसमें विशेष कर अवैध बजरी के कारोबार ने सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र में ही नहीं पूरे जिले में गैर कानूनी गतिविधियों, गुंडाराज, भ्रष्टतंत्र ,माफिया राज को पनपाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी बल्कि यहां छोटे बड़े सभी नेताओं , जनप्रतिनिधियों यहां तक कि भ्रष्ट पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों तक ने जनता की परवाह न कर अपने फायदे के लिए अपने पदों एवं सत्ता का दुरुपयोग कर सुशासन के बजाय इस काले सोने से अकूत धन संपत्तियों का बखूबी अर्जन किया। यह लोग इस गैर कानूनी गतिविधि के चलते मालामाल तक हो गए। इस कार्य में विपक्षी पार्टी के विरोध व धरना प्रदर्शन के बाद भी मौजूदा सरकार ने गलत लोगों का भरपूर सहयोग प्रदान किया। ऐसी परिस्थिति में जनता जनार्दन के सामने नो- नो आंसू रोने जैसी स्थिति पैदा हो गई। एक और जहां बजरी माफियाओं व ठेकेदारों की कारगुजारीयों के परिणाम स्वरूप कई बच्चअनाथ हो गए उनके सिर से अपने पिता का साया उठ गया तो कई माताएं संतानहीन हो गई और उन मृतकों की पत्नियां बेवा (विधवा ) बन गई। बौंली , मलारना डूंगर एवं खंडार में से कई उदाहरण देखे जा सकते है, जहां के सामान्य परिवारों के कई युवक इस अवैध कारोबार के चलते असमय मौत के मुंह में समाते चले गए। पक्ष और विपक्ष की लड़ाई में नेता व जनप्रतिनिधियों ने भी जमकर लाभ उठाया और जनता इनके भंवर जाल में उलझकर चक्की की तरह पिसती रही। सिर्फ और सिर्फ बजरी के अवैध खनन- परिवहन से जुड़ी गतिविधियों के चलते नेता और जनप्रतिनिधि और भ्रष्ट कर्मचारी खगपति से सफर शुरू कर लखपति ही नहीं अकुत धन संपत्ति कमाकर करोड़पति तक हो गए। इस मामले को लेकर बाकायदा मीडिया में भी खूब खबरें प्रकाशित हुई सोशल मीडिया पर भी चली, लेकिन मृत प्रयाय सरकार के चलते किसी का कुछ नहीं बिगड़ा। जिसके जो जहां भी हाथ आया उसने जमकर कमाए और करोड़ों के आसामी बन गए । बेकसूर मारे गए ओर जनता के हिस्से में सिर्फ परेशानी और कठिनाई मिली । इसलिए अबकी बार सवाई माधोपुर की जनता सिस्टम में सिर्फ और सिर्फ बदलाव देख रही है। लगता है कि यहां जनता जनार्दन कुछ नया करने के मूड में है। क्योंकि जहां कांग्रेस सांपनाथ की भूमिका में है वहीं भाजपा भी किसी नागनाथ से कम नहीं है और दूसरी पार्टीयों का तो कहना ही क्या। यह परिस्थिति से ठुकराए हुए सभी लोगों का मानना है। ऐसा लगता है कि एक अच्छे जनप्रतिनिधि की तलाश में लोग दलों के दलदल से बाहर निकलने को बेताब है। भले ही राजनीतिक गुरु ,पंडित व रणनीतिकार इस बात को सिरे से खारिज करें या स्वयं नेता/ जनप्रतिनिधि व उनके के सलाहकार, गुर्गे, चमचे व चाटुकार इस बात को कतई स्वीकार नहीं करें फिर भी सवाई माधोपुर में इस बार कोई नया बदलाव होने जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है। इसका संकेत मतदाता व समर्थक चुनाव से ठीक पहले दे चुके हैं। होना भी यही चाहिए है स्वस्थ लोकतंत्र के लिए स्वस्थ व्यक्तियों का चुनाव हो। ईमानदार , चरित्रवान,कर्मठ, त्यागी, पढ़ें लिखे नेता विधायक के रूप में चुने जाएं जोकि अपना घर भरने के बजाय तन मन धन से जनता की सेवा करें। जीतने के बाद धनबल व बाहुबल को कतई बढ़ावा न दे। बेईमान, चोर व भ्रष्ट नेता के बजाय चरित्रवान,ईमानदार जन सेवक मिले जिसने की बचपन से ही राजनीति, देशभक्ति और जनसेवा की प्रेरणा के माहौल में जीवन जिया हो, क्योंकि ऐसे ही जनप्रतिनिधि की अब सवाई माधोपुर को तलाश है। इसलिए की उपर्युक्त व्यक्ति ही विकास और समपर्ण का पर्याय बन सकता हैं, बाकी दूसरों से कोई उम्मीद नहीं है।
सशक्त विकास की राह में गहराईयों का अध्ययन करते हुए यह महसूस किया गया कि जब तक बालिकाओं का प्रारम्भिक से उच्च स्तर तक शिक्षा, हर गांव में चिकित्सा सुविधा, गांव-ढाणी-शहर तक आवागमन कनेक्टिविटी, सीवरेज कार्य, युवाओं को रोजगार, खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन व खेलों के माध्यम से रोजगार और क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासतों का संरक्षण व नवीनकरण पर्यटन को बढ़ावा व रोजगार सृजन, उद्योगों की स्थापना जैसे अनूठे प्रयास नहीं होंगे तब तक क्षेत्र में विकास की संम्भावनाएं न के बराबर है।जनभावनाओं के सम्मान के साथ ग्रामीण और शहरी विकास, बालिका शिक्षा, पेयजल ,चिकित्सा, सड़क, खेल, रोजगार के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने वाले को ही इस चुनाव में जनता को मौका देना चाहिए। इस काम के लिए क्षेत्रवासियों द्वारा हमेशा से और आज भी पूर्ववर्ती महिला विधायकों की प्रशंसा की जाती रही है। सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनी गई पूर्व वर्ती महिला विधायकों की यह खासियत रही , कि वे स्वयं एक समर्पित जनप्रतिनिधि के रूप में लोगों से जुड़ी रही रही। उन्होंने गुंडे, बिचौलिए वह दलाल पैदा नहीं की ,वहीं उन्होंने जनता से एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों और दायित्वों के निर्वहन की भी हमेशा अपेक्षा रखी, जिसमें जनता ने भी भरपूर उनका सहयोग प्रदान किया।

पूर्व महिला जनप्रतिनिधि के कार्य काल में शिक्षा, पेयजल ,सड़क,चिकित्सा जैसे क्षेत्र में ही नहीं वरन
युवा रोजगार व प्रशिक्षण,पर्यटन के साथ साथ सांस्कृतिक गतिविधियों व
खेल के क्षेत्र में कई अनगिनत कार्य सम्पन्न हुए। इसके अलावा ऊर्जा से संबंधित व पशु चिकित्सा के क्षेत्र में तथा उद्योग व स्वरोजगार के संग रेल सेवा विद्युतीकरण के क्षेत्र में भी जमकर प्रयास हुए , सभी में इनकी बखूबी भागीदारी रही। इसके अलावा अन्य माध्यम से महिला स्वरोजगार व सशक्तिकरण की नई पहल भी शुरू हुई। कहने का तात्पर्य यह है, कि जब जब भी सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र में महिला जनप्रतिनिधियों का शासन काल रहा तो यहां पूर्ण रूप से शांति और अमन-चैन के साथ साथ सांप्रदायिक सौहार्द तथा सुदृढ़ कानून व्यवस्था हर तरह से कायम रही और अपराध और आपराधिक गतिविधियों पर एक तरह से अंकुश लगा रहा। जिससे कि यहां की जनता ने अपना जीवन सुखमय तरीके से जीया और अपनी उन्नति की। इसके विपरीत अधिकांश पुरुष वर्ग से जुड़े विधायकों ने यहां पर विकास के नाम पर जिले का बेड़ा ग़र्क करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। क्योंकि इन्होंने यहां पर पद और सत्ता के नशे में चूर रहते हुए भ्रष्ट कर्मचारी व अधिकारियों की मिलीभगत से गुंडागर्दी, अवैध बजरी खनन - परिवहन, अपराध व अपराधियों गतिविधियों पर अंकुश लगाने के बजाय उन्हें बढ़ावा देने व संरक्षण प्रदान करने में ज्यादा रूचि दिखाई। जिसकी बदौलत जनता का सुख चैन छीनता हुआ चला गया। इसके विपरित यहां महिला जनप्रतिनिधियों ने बखूबी अपना किरदार ईमानदारी से निभाया। भले ही पूर्व विधायक श्रीमती नरेंद्र कंवर(निर्दलीय) हो या फिर श्रीमती यास्मीन अबरार(कांग्रेस पार्टी) के कार्यकाल में किसी का ज्यादा अच्छा भी नहीं हुआ तो किसी का बुरा भी नहीं हुआ। विकास के नाम पर भले ही दोनों के कार्यकाल में कम काम हुआ हो लेकिन जनता एक अच्छे माहौल में सही सलामत रही। जबकी इसके बाद में पूर्व विधायक महारानी दिव्या कुमारी के शासन में तो सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र में सुशासन व विकास की बखूबी बयार बही। तीनों ही पूर्व महिला विधायकों ने कम से कम सवाई माधोपुर का आंतरिक माहौल तो खराब नहीं होने दिया जो की पुरुष जनप्रतिनिधियों के राज में यहां अक्षर देखने को मिला। महिलाओं ने कम से कम दलगत राजनीति, तुष्टिकरण व जातिवाद के बजाय सुशासन और जनता जनार्दन के हितों को ध्यान में रखकर उनके जरूरी कामों को तो समय रहते हुए निपटाने और उनकी हर तरीके से जरूरी सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए और पूर्ववर्ति माहौल की वापसी के लिए ‌ एक बार फिर से यहां परिवर्तन की बयार बहती हुई साफतौर पर नजर आ रही है। आज 25 नवंबर को मतदान है और आगामी 03 दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होना है। प्रत्याशियों का भाग्य आज ईवीएम मशीन में बंद हो जाएगा। परिणाम काल (समय) के हाथ में है। यह समय ही सुनिश्चित करेगा कि किसकी हार होनी है और किसकी जीत। खैर! यह जनता का अपना विषय है और जनता को स्वयं सोच-समझकर निर्णय लेना है। इसलिए सबको एक बार फिर से विचार कर एक मतदाता के रूप में मतदान प्रक्रिया में पूर्ण रूप से भागीदारी निभानी है । मतलब हरहाल में विपरीत परिस्थितियों में भी मतदान करना है, ताकि सवाई माधोपुर का भविष्य आगे चलकर पूर्व की अपेक्षा और अधिक उज्जवल हो और यहां का पुरातन इतिहास सुरक्षित व संरक्षित रहे। साथ में जनता के बीच आपसी प्रेम व भाईचारा की भावना और दृढ़ बने। आज मतदान दिवस है सभी मतदाता 100% मतदान करें एवं अपनी नई सरकार चुने, किसी भी तरह के लोभ , लालच व बहकावे में नहीं आवें, क्योंकि हमें अपने और अपने बच्चों का भविष्य निर्धारित और सुरक्षित करना है। जिसकी आधार शिला आज रखी जानी है।चुनाव ही वह सबसे बड़ा व प्रभावी हथियार(औजार )है जिसकी बदौलत या दम पर मतदाता अपनी ताकत का भंलीभांती भरपूर उपयोग करता आया है और अब कर सकता है। जीत भी उसी की होगी जिसको जनता चाहेगी।

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