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तीर्थ सागर भारत भारी में छठ पूजा का भव्य आयोजन

भारत भारी
सिद्धार्थनगर

छठ पूजा के इस लोक पर्व में भगवान सूर्य नरायन और उनकी बहन पष्ठी को छठी मईया के रूप में भावना पूर्ण नमन किया जाता हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार मां प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न शक्ति पष्ठी सर्वश्रेष्ठ मातृ शक्ति के नाम से विख्यात हुई।
माना जाता हैं कि छठ पर्व मनाने की प्रथा का शुरुआत महाभारत काल में कर्ण के द्धारा कि गई थी।
कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वह प्रतिदिन पानी खडे होकर सूर्य भगवान को अर्ध्य देते थे। भगवान सूर्य के ही कृपा से वह महान योद्धा बने थे।
आज भी छठ पर्व के दौरान सूर्यदेव को अर्ध्यदान कि वही कर्ण पद्धति ही प्रचलित हैं।
अनेकों अन्य पौराणिक विवरण भी इस पुरा युगीन लोक पर्व और सूर्य उपासना की महत्ता को बताते हैं।
छठ पूजा का सबसे बड़ा महत्वपूर्ण पक्ष इसका सरलता, सादगी, शुद्धता, पवित्रता और सत प्रतिशत पर्यावरण हितैषी होना है।
छठ पूजा पर गाय के गोबर से पूजा स्थल को लेप कर शुद्ध किया जाता हैं। पूजा घाटों की मरम्मत और सफाई का कार्य दीपावली पर्व के बाद से ही शुरू हो जाता हैं।

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