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स्थाई शिक्षकों की भांति अनुदेशकों को भी किया जाए स्थाई

उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाने वाले अनुदेशको का इतना कम मानदेय में काम कैसे चले। मात्र 9000 के मानदेय पर स्कूली बच्चों को उच्चकोटी की शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारने वाले अनुदेशकों को भी स्थाई शिक्षकों की भांति नियमित किया जाना चाहिए।
हद तो तब हो जाती है जब वर्ष 2017 में आई वर्तमान सरकार यह घोषणा करती है कि अब अनुदेशकों का मानदेय 7000 से बढ़ाकर 17000 कर दिया जायेगा। और इसका बकायदे प्रचार प्रसार समाचार पत्रों के माध्यम से किया जाता है। लेकिन आज 6 साल बीत गए अनुदेशकों के मानदेय में मात्र 2000 की वृद्धि कर दी गई। और सरकार द्वारा घोषित मानदेय 17000 आज तक नहीं दिया गया।
इस विषय पर बात करने पर अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह कहते हैं कि, सरकार को हमारा हक हमको देना चाहिए। जब हम हाईकोर्ट से जीत गए हैं। तब क्यू सरकार हमको हमारा 17000 नहीं दे रही है। सरकार को हमारा हक देकर अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।

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