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आर्य समाज पाली राजस्थान द्वारा किया गया वेद प्रचार यज्ञय

ओ३म्
वेद पढ़ना और देवयज्ञ करना कराना मनुष्य का नेमीतिक कर्म : पूर्णानन्द।

वैदिक संन्यासी स्वामी पूर्णानन्द ने कहां की वेद पढ़ना और देवयज्ञ करना कराना हर मनुष्य का नेमीतिक कर्म है। वेद के स्वाध्याय से लौकिक अध्यात्मिक ज्ञान परमात्मा कि उपासना होती है जिससे मनुष्य की आत्मा प्रकाशमान होती है। देवयज्ञ से प्रर्यावरण रक्षा होती है और देवजन संतुष्ट होकर दी गई आहुतियां का हजार गुणा वापस लौटाते है, जिससे सभी जीवो को सुख पहुंचता है। वे आर्य समाज पाली के वेद प्रचार के तहत आयोजित कसिप ग्राम में एक धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे।

आर्य समाज पाली मारवाड़ द्वारा बालोतरा तहसील सिवाना के नजदीक गांव कसिप में पूर्व प्रधान गजेन्द्र अरोड़ा एवं मंत्री विजयराज आर्य के ब्रह्मात्व में देवयज्ञ और वेद प्रचार किया गया। स्वामी पूर्णानन्द जी महाराज के सानिध्य में हुए वेद प्रचार यज्ञ मे ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना स्वास्तिक वाचन के बाद विधिवत देवयज्ञ किया गया जिसमें मिश्रीलाल पुत्र पुनमचन्द मुख्य यजमान बने।

इस अवसर पर नवाराम, भोमताराम, ढलाराम, तेजाराम, पुखराज एम, लूम्बाराम, ओमप्रकाश, चम्पालाल, पुखराज के, भराराम, बगताराम, प्रकाश, जगदीश, दीपक, सहित ग्रामीणों ने सपरिवार उपस्थित रहकर देवयज्ञ में आहुतियां प्रदान की।

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