Deosar, Singrauli Mp News,
देवसर में निवासरत आत्मीय स्वजनों,
आज़ादी के पूर्व देश के सबसे प्रमुख रियासतों में से एक र
Deosar, Singrauli Mp News,
देवसर में निवासरत आत्मीय स्वजनों,
आज़ादी के पूर्व देश के सबसे प्रमुख रियासतों में से एक रीवा राज्य के सबसे गौरवशाली स्थानों सम्मिलित रहे देवसर की गिनती सिंगरौली के अलग ज़िला बनने तक प्रशासनिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से रीवा संभाग के सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में होती थी।
लेकिन, 2008 के बाद से देवसर विकास के मानकों पर धीरे- धीरे पिछड़ता गया । इसकी एक वजह देवसर के हितों को ताक पर रख अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने वाले चुने हुए जनप्रतिनिधियों का आचरण रहा है। 2008 के बाद से देवसर का विकास सरकारों व जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकताओं में कहीं पीछे चला गया। 2013 से 2023 तक सिहावल विधानसभा से विधायक निर्वाचित होने वाले नेता जो हमारी पार्टी कांग्रेस से हैं किंतु देवसर व सिहावल विधानसभा के ग़रीब एवं पिछड़े वर्ग के लोगो को न्याय दिलाने की झूठी राजनीति का दावा करने वाले नेता अपने परिवार के लिए अकूत संपत्ति सिंगरौली जिले एवं देवसर का शोषण कर अर्जित करने में लगे रहे। एक ओर सम्पूर्ण पिछड़ा वर्ग, आदिवासी एवं दलित समाज का हितैषी बताकर उनके वोट लेने का प्रयास करने वाले नेता जी सत्ता मिलते ही अपने परिवार एवं जाति विशेष को उपकृत करने में व्यस्त हो जाते हैं । इस बीच समाज़िक रूप से पिछड़ी ना तो किसी जाती के कल्याण की चिंता हुई ना ही बतौर मंत्री अपने विशेषा अधिकारों को उन्होंने देवसर में कोई विकासोनमुखी योजना लाने में प्रयोग किया। देवसर विकास के सभी मानकों पर न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया। आमूल-चूल परिवर्तन के अभाव में विकास की दौड़ में सिंगरौली की अन्य तहसील जैसे सरई के मुकाबले बहुत पीछे छूट गए देवसर में बदहाली और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन बना रहा। जिस प्रकार सौतेला व्यवहार एवं समाज को टुकड़ों में बाँटने वाली विभाजकारी राजनीति देवसर क्षेत्र में की जा रही है उससे साफ़ स्पष्ट होता है कि एक तय षड्यंत्र के माध्यम से अपनी बौद्धिक एवं राजनीतिक चेतना के लिए ख्याति प्राप्त देवसर को अस्तित्व विहीन किया जा रहा है। चूँकि अब विधानसभा चुनाव की मुनादी सभी राजनीतिक दल एवं सत्ता पर दावेदारी करने वाले नेता पीट चुके हैं अब घर घर दस्तक दिया जा रहा है तो ऐसे में देवसर की प्रबुद्ध जनता को पूछने का समय है कि भाजपा एवं कांग्रेस के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों एवं जो भविष्य में विधायक-सांसद जैसे गरिमापूर्ण पदों को प्राप्त करने का ख्वाब देख रहे हैं जवाब दें कि जिस देवसर तहसील के ऐतिहासिक प्रांगण में 1981-82 तक चितरंगी के तीन नायब तहसीलदार व देवसर के तीन नायब तहसीलदारों को मिलाकर कुल 6 राजस्व निरीक्षक मंडलों के तहसीलदार बैठते थे। चितरंगी तहसील अलग कर दिए जाने के बाद तहसील सरई भी 2012-13 में देवसर से अलग कर दी गई और देवसर उपखंड से भी चितरंगी को अलग उपखंड घोषित कर दिया गया। इसी वर्ष बरगवाँ को भी देवसर से अलग कर नई तहसील बना दिया गया। और अब प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट भी देवसर अलग होकर सरई एवं चितरंगी में बैठाने की तैयारी हो चुकी है देवसर से अलग किए गए बरगवाँ एवं सरई तहसील मुख्यालय आज नगर पंचायत का दर्ज प्राप्त कर चुकें हैं वहीं देवसर आज भी अपना अस्तित्व तलाश रहा है। यहाँ का प्रतिनिधित्व कर रहे नेताओं को भय है की त्रिस्तरीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के माध्यम से राजनीतिक रूप से चैतन्य देवसर अपना नेतृत्व ना खड़ा कर ले नही तो इनकी फ़रेब की राजनीति की जड़ों में भट्ठाडल जाएगा। जल्द ही सरई भी पूर्णतः स्वतंत्र नया उपखंड बन जाएगा विभिन्न विभागों के तहसील एवं उपखंड स्तर के ऑफिसों को देवसर से सिंगरौली(वैढन) स्थान्तरित कर दिया गया।देवसर में लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री, सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री, परियोजना प्रशासक कुसमी तक का एरिया देवसर संचालित होकर प्रतिनिधित्व करता था, साथ ही बिजली विभाग के एई देवसर में बैठते थे और सरकारी गल्ला वितरण का देवसर मुख्य केंद्र हुआ करता था यहाँ से चितरंगी एवं सरई का गलला जाया करता था। इन विभागों को साज़िश के तहत देवसर से बाहर यह चुने हुए जनप्रतिनिधि ले गए।यहाँ से दो बार निर्वाचित विधायक महोदय सभी राजनीतिक पद जैसे ज़िला पंचायत, जनपद पंचायत, लोकसभा, विधानसभा हर जगह अपने परिवार तक सीमित रखना चाहते हैं। सिहावल में इन पदों को वहाँ सरलता से कई वर्षों से हथिया भी रहे हैं, उनकी निगाह देवसर में भी अपने परिजनों को मुख्य भूमिका में देखने की थी जिसमें विफल होने पर देवसर से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। जहां पूरी दुनिया व देश विकास के नये आयामों को छू रहा है हम और आप आज किसी तीसरी दुनिया के देश की तरह पिछड़ती चले जा रहे हैं। आजकल बहुत से जनप्रतिनिधि यह मांग करते हैं कि हमारा विंध्य प्रदेश लौटा दिया जाए व सीधी को संभाग और देवसर को जिला बना दिया जाए सत्ता की धुरी ग्राम "स " एवं जाति " प " के पास आज कई वर्षों से रही है इस पर विचार किया जाए और जब भाजपा की सरकार आज 20 सालों से है तो किन जन प्रतिनिधियों के द्वारा देवसर का अस्तित्व को डुबाया जा रहा है इस पर भी विचार किया जाए, जहां बरगवां कर्थुआ, बहरी, कुबरी, एवं कुचवाही जैसे छोटे जगहों पर बाईपास रोड निर्माण कराई गई वहीं देवसर मार्केट से सड़क निकलने के कारण एक व्यवसायिक केंद्र रहा देवसर बाज़ार आज दयनीय स्थित से होकर गुजर रहा है। जहां व्यवसाय का आधारभूत ढाँचा तक मौजूद नहीं है, जिसके कारण यहाँ के युवाओं को अपना भविष्य अंधकारमय दिखता है मजबूरी में परिवार का पोषण करने के लिए अनैतिक कृत्यों में लिप्त होना पड़ रहा है। यहाँ विकास की थोड़ी बहुत संभावना एनएच 39 एवं ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन से थी किंतु दोनों परियोजनाओं को जानबूझ कर हमारी भूमि एवं मकान और मुआवजा किसी दूसरे का लिखा कर भ्रष्टाचार किया गया जिसके कारण दोनों परियोजनाओं को अधर में लटका दिया गया है। विकास की इसी धीमी रफ्तार की वजह से आज भी देवसर सबसे गरीब और पिछड़ा स्थान है, पूँजी का वितरण भी यहाँ असामान्य रूप से हुआ है। देवसर में सबसे ज्यादा अशिक्षित, सबसे ज्यादा बेरोजगार, सबसे ज्यादा भुखमरी और पलायन के शिकार लोग रहते हैं। जिन पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए नेता झूठे दावे करते हैं उनके बच्चों को रोज़गार एवं आजीविका के लिए महानगरों में जाकर मज़दूरी करने के लिए अथवा क़ाबिलियत से कम स्तर के काम करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। जबकि रोज़गार के पर्याप्त अवसर यहाँ लगने वाले उद्योगों में मौजूद हैं। देवसर की एक बहुत बड़ी जनसंख्या आज भी मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है। देवसर के ज्यादातर लोग इस स्थिति को समझते हैं और इसकी बेहतरी चाहते हैं। देवसर के सभी जागृत और प्रबुद्ध लोग, जिनको देवसर के वर्तमान और भविष्य की चिंता है उन्हें इस बात की समझ है कि देवसर जिस रास्ते पर पिछले कुछ दशकों से चल रहा है, उस पर चलकर इसे विकसित नहीं बनाया जा सकता है।
ऐसे में देवसर की जनता जिसकी चेतना अभी मारी नहीं हैं किंतु एक साज़िश के तहत दबा जरूर दी गई है उसको एक बार पुनः जागृत करने की आवश्यकता है। समाज को बाँटने वाले अथवा हमारे आप के वोट को पैसे से ख़रीदने वाले नेताओं से सावधान रहने की ज़रूरत है, यह पैसा जो ये नेता बाँट रहे हैं इन्होंने कोई अपनी मेहनत का गेंहू बेंच कर नहीं कमाया है उल्टे समाज में हमारे आपके हिस्से के संसाधनों एवं टैक्स का दोहन कर लूटा गया है।
अगर देवसर( बिजौरा) को आने वाले 10-15 सालों में पुनः उठ खड़ा होना है तो उसके लिए एक नई सोच और एक नए प्रयास की जरूरत है। ये नई सोच और प्रयास किसी एक व्यक्ति या दल के बस की बात नहीं है। सम्पूर्ण देवसर के पिछड़ेपन को कोई एक व्यक्ति या दल दूर नहीं कर सकता है। इसके लिए जरूरी है एक नए प्रयास की जिसे देवसर के सभी सही लोग मिलकर एक सही सोच के साथ करें और जिसके जरिए सामूहिक प्रयास से सत्ता परिवर्तन के साथ- साथ व्यवस्था परिवर्तन की शुरुआत भी हो। आप सभी का इस सम्बंध में जो सुझाव हो कृपया प्रेषित किया जाए, देवसर को बचाने की इस लड़ाई में मैं अपने हिस्से की आहुति डालने के लिए संकल्पित हूँ आप सभी से भी सुझाव व समालोचना की अपेक्षा है।
आपका ~ डी०पी० शुक्ला (डाक्टर)