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विद्युत कर्मियों की हठधर्मिता के खिलाफ सरकार की सख्ती

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने अपनी 32 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर रखी है और अपनी बात मनवाने के लिए इस हद तक हुड़दंगईं और हिसा कर रहे हैं कि शार्ट सर्किट करा दे रहे हैं। देवरिया और आजमगढ़ में ऐसे आपराधिक कृत्य किए गए हैं।

सरकार ने विद्युत कर्मी संघर्ष समिति के 22 नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करवाई है। उल्लेखनीय बात तो यह है कि हाई कोर्ट ने भी बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध घोषित कर रखा है।

किन्तु हड़ताली बिजली कर्मचारी अपनी विघटनकारी गतिविधियों को रोकने के लिए तैयार नहीं है। संविदा पर नौकरी कर रहे कर्मचारी भी हड़ताल कर रहे हैं और सरकार की चेतावनी के बावजूद वे काम पर वापस नहीं लौटे हैं। विदृाुत मंत्री अरविन्द वुमार शर्मा ने शनिवार को चेतावनी दी थी कि यदि शाम तक काम पर कर्मचारी वापस नहीं आए तो उनके खिलाफ कार्रवाई स्वरूप उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी।

बहरहाल सरकार ने तो हड़ताली कर्मियों के खिलाफ एस्मा लगाने की भी धमकी दी थी, किन्तु उम्मीद थी कि हड़ताल करने वाले हिंसा और हुड़दंगई नहीं करेंगे। इसलिए अब तक समझाने-बुझाने का सिलसिला चल रहा था। ​​ किन्तु जब हड़ताल राजनीतिक उद्देश्य के लिए की जाती है या करवाई जाती है तो यह जनविरोधी हो जाती है और ऐसे में शासन को हड़तालियों के खिलाफ कठोर कार्रवईं करनी ही चाहिए।

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