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समस्तीपुर में बूढ़ी गंडक खतरे के निशान के पार, बाढ़ का खतरा

समस्तीपुर। बूढ़ी गंडक नदी का जल खतरे के निशान को पार करते हुए 1.87 सेमी ऊपर बह रहा है। पिछले 12 घंटे में बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में काफी इजाफा हुआ है। मंगलवार को समस्तीपुर रेलवे पुल के निकट जलस्तर खतरे के लाल निशान को पार कर 47.60 सेमी पर पहुंच चुका था। इससे शहर के आसपास के लोग भी चितित नजर आने लगे हैं।

तटबंध पर दबाव के कारण बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। बीती रात बूढ़ी गंडक नदी के किनारे महमदा पूसा, सतमलपुर शेखटोली, हांसा वार्ड 15 व विभुतिपुर पटपरा में तटबंध पर रिसाव को लेकर कार्य कार्य किया गया। जलस्तर में लागातार हो रही वृद्धि के कारण समस्तीपुर दरभंगा रेल पुल के निकट रेलवे कंस्ट्रक्शन रिंग बांध मरम्मती का कार्य भी प्रभावित हुआ है। 

डीएम शशांक शुभंकर ने मंगलवार को बूढ़ी गंडक नदी के तटबंध का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। जिलाधिकारी ने कहा कि, ‘जलस्तर बढ़ने से तटबंध पर दबाव बढ़ने की आशंका है। सुरक्षा को लेकर बीडीओ, सीओ व थानाध्यक्ष को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।’  
 

   12 घंटे में 10 सेमी बढ़ा जलस्तर
 समस्तीपुर में आपदा प्रबंधन शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक, ‘मंगलवार सुबह बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर 47.50 मीटर और शाम में 47.60 मीटर था। 12 घंटे में जलस्तर में 10 सेमी इजाफा हुआ। समस्तीपुर रेलवे पुल के निकट बूढ़ी गंडक का चेतावनी स्तर 45.12 मीटर है, जबकि खतरे का लाल निशान 45.72 है। यानि नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 1.87 मीटर ऊपर है। जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। तटबंध किनारे रहने वाले लोग रतजगा कर रहे हैं। नदी के दबाव को देखते हुए स्लूस गेट व तटबंध पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चल रहा राहत कार्य 

जिला प्रशासन द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगातार राहत कार्य किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने बताया कि ‘बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। वहीं बागमती का बहाव अब कम हो रहा है।’

उन्होंने बताया कि, ‘बागमती नदी में बाढ़ से कल्याणपुर, बिथान, सिघिया और हसनपुर के सात पंचायत पूर्ण रूप से और 23 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हैं। 1.13 लाख लोग बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए हैं।’

उन्होंने बताया कि, ‘बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 113 नाव और छह मोटरबोट की व्यवस्था की गई है। एमडीआरएफ की टीम एक्टिव है।’ उन्होंने कहा कि, ‘बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में दस सामूहिक किचेन, 5 पशु कैंप व 10 कैंप लगाए गए हैं। लगातार राहत कार्य किया जा रहा है।’

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