15 वर्ष पूर्व बिछड़े बेटे को मा से मिलाया
रानीवाड़ा : एसडीएम प्रकाशचंद्र जी अग्रवाल साहब ने 15 वर्ष पूर्व बिछड़े बेटे को मां से मिलाया ।।
बेटे को देख मां की खुशी का ठिकाना नही रहा, दौड़ कर लिपट गई ।
रानीवाड़ा। जब किसी का अपना अचानक घूम हो जाये और उसका कहीं कोई अता-पता न लगे तो सोचो एक मां-बाप पर क्या बीतती है। जब सारे रास्ते बंद हो जाये, फिर भी माँ की आंखे हमेशा अपने लाल को देखने के लिए तरसती रहती है, जब एक माँ को 15 साल के बाद एक जवान उनके सामने खड़ा होकर कहे कहे कि माँ मैं तेरा बेटा हूँ तब सोचों उस माँ के खुशी का क्या ठिकाना होगा, ऐसा ही हुआ झारखंड राज्य लातेहार जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रहने वाली बासमती देवी के साथ। आज से 15-16 साल पहले बासमती देवी पति जुगलसिंह और दो बेटों के साथ हसी खुशी जिंदगी जी रहे थे, तभी एक दिन बाबुलाल सिंह उर्फ अर्जुनसिंह मात्र 12 वर्ष की आयु में गायब हो गया, जहाँ कई महीनों तक खोजबीन की पुलिस से गुहार लगाई, लेकिन कही कोई सुराग नही लगा, इसमें अर्जुनसिंह के पिता ने कर्जा लेकर बेटे की खोजबीन की फिर भी सफलता हाथ नही लगी और कर्ज के बोझ तले दबने ओर बेटे के गम के चलते जुगलसिंह की मौत हो गई।
वही जुगल सिंह की मृत्यु के साथ आखिर परिजनों ने अर्जुनसिंह का भी हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कर लिया, लेकिन आज बासमती देवी के लिए जालोर जिले के रानीवाड़ा उपखण्ड अधिकारी प्रकाशचन्द्र जी अग्रवाल एक फरिश्ता बनकर बुढ़ापे का सहारा अर्जुनसिंह को घर पहुंचा कर बासमती देवी को एक बार फिर सुकून के पल ओर खुशियों से झोली भर दी है। जी हां ऐसा ही करिश्मा कर दिखाया है रानीवाड़ा के उपखण्ड अधिकारी प्रकाशचन्द्र जी अग्रवाल ने जो कार्य अन्य को करना चाहिए था वह कार्य एसडीएम साहब ने करके 15 साल पहले बिछड़े अर्जुन सिंह की माँ से उसका बेटा मिला कर किया है।
अक्सर देखा गया है कि अधिकारी गैर जिम्मेदार नजर आते है लेकिन यहां एसडीएम प्रकाशचन्द्र जी अग्रवाल ने वाकई ही सराहनीय काम किया है। आपको बता दे की लॉकडाउन के समय रानीवाड़ा रेलवे स्टेशन से सूचना मिली कि एक संदिग्ध युवक है जो किसी घटना को इंतजाम दे सकता है, जहां मौके पर पंहुचे रानीवाड़ा एसडीएम साहब ने पूछताछ कर स्क्रीनिंग कर क्वारटाइन सेंटर भेजा, लेकिन एसडीएम साहब ने पटवारी जबरदान चारण को निर्देशित किया कि प्रताडि़त किया हुआ लग रहा है उसके पास बैठ के प्रेम से वार्तालाप कर जानकारी जुटाई, जब जानकारी जुटाई तो पैरों तले जमीन खिसक गई, अर्जुन सिंह ने बताया कि 15 साल पहले उसके गांव के सरदार ने बहला फुसला कर उसे कही दूर ईंट के भट्टी पर काम करने छोड़ दिया लेकिन वह छोटा होने से ईंट की भट्टी पर काम नही कर पा रहा था, तब उसने जोधपुर के रेस्टोरेंट पर छोड़ दिया और चला गया, बाद में रेस्टोरेंट मालिक ने बताया कि उसे खरीदा है अब काम यही करना पड़ेगा, तब से रेस्टोरेंट मालिक केवल साल की एक जोड़ी कपड़ा और दो समय की रोटी के बदले 15 वर्ष से दिन रात कार्य करवा रहा था, वही देश में लॉक डाउन हो गया तो रेस्टोरेंट मालिक भी रेस्टोरेंट बंद कर चला गया, तो अर्जुनसिंह को घर जाने का मौका मिल गया और पैदल ही घर की तलाश में निकल पड़ा लेकिन अर्जुनसिंह को यह जानकारी नही थी कि झारखंड किस दिशा में एवं कहा पर आया हुआ है, क्योंकि वह पिछले 15 वर्षो से बधुआ मजदूर की तरह काम कर रहा था बाहर की दुनिया की कोई जानकारी नही हुई, बस उसे माँ पिता और गांव का नाम याद था, वही अर्जुनसिंह घर की तलाश में पैदल चलते चलते आठ दिन में रानीवाड़ा पहुँच गया, जहा रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी से आगे जाने की कोशिश की, लेकिन गार्ड ने उसे नीचे उतार दिया, जब यह कहानी एसडीएम प्रकाशचन्द्र जी को बताई तो एसडीएम साहब स्वयं अर्जुनसिंह से मिलने मालवाड़ा पहुँचे उसे उसकी माँ तक पहुचाने की बात कही।
वही एसडीएम साहब ने झारखंड के लातेहार जिले थानाधिकारी से सम्पर्क किया, थानाधिकारी अमित गुप्ता ने बताया कि इस नाम का लड़का मिसिंग तो है लेकिन परिजनों ने सालों पहले अंतिम संस्कार की भी रस्म पूरी कर ली है। थानाधिकारी अमित गुप्ता ने कहा कि नक्सली इलाका होने से उसके परिवार तक संदेश पहुचाने एक वार्तालाप व्यक्ति को भेज जानकारी जुटाएंगे, जब लातेहार से सूचना मिली कि उसकी माँ जिंदा है और आज भी अर्जुनसिंह का इंतजार कर रही है, उसके पिता की मृत्यु हो गई है। जब माँ को सूचना दी कि उसका बेटा जो घूम गया था वो जिंदा है और घर आना चाहता है, तब अर्जुन सिंह की माँ बासमती देवी के खुशी ठिकाना नही है। वही एसडीएम प्रकाशचन्द्र जी ने स्वयं व कर्मचारियों व समाजसेवी मुकेश खंडेलवाल की मदद से तुरन्त चार जोड़ी कपड़े मंगवाए, नकदी एकत्रित की ओर कोरोना काल मे राज्य सरकार द्वारा चलाई विशेष ट्रेन से रांची भेजा और वहां से लातेहार भेज दिया, जहा क्वारटाइन सेंटर भेज दिया।
क्वारेटाइन अवधि पूरी होने के बाद लातेहार थानाधिकारी अमित गुप्ता ने अर्जुन सिंह को उसकी माँ बासमती के पास लेकर गए, जहाँ अर्जुनसिंह ने माँ को देखते ही कहा माँ तेरा अर्जुन सिंह में आ गया, उस समय बासमती देवी के आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे और उठ कर बेटे अर्जुन सिंह से लिपट गई। जब यह बात आस पास के क्षेत्र में फैली की बासमती देवी का बेटा आ गया, तो बड़ी संख्या में लोग देखने आ गए और थानाधिकारी अमित गुप्ता को कंधों पर उठा लिया, तो अमित गुप्ता ने कहा कि अर्जुन सिंह को तो यहां से लेकर आया हुं, लेकिन अर्जुनसिंह को घर तक पहुचाने वाले राजस्थान जालोर जिले के रानीवाड़ा एसडीएम साहब प्रकाशचन्द्र जी अग्रवाल, पटवारी जबरदान चारण और उनकी टीम है, बासमती देवी ने थानाधिकारी अमित गुप्ता के मोबाईल से एसडीएम प्रकाशचन्द्र से बात कर खुशी व्यक्त की ओर धन्यवाद दिया। वही परिजन ओर गांव के लोग हर रोज कॉल कर एसडीएम साहब एवं रानीवाड़ा प्रशासन को धन्यवाद देते नही थक रहे है।।
।। ग्रेट वर्क सर ।।
Report ::- Puran suthar