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इस साल हम आजादी के 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है , जिस याद में हम करोड़ों भारतीय स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाते आ रहे हैं

इस साल हम आजादी के 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है , जिस याद में हम करोड़ों भारतीय स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाते आ रहे हैं , क्या हम सब उत्सव मनाने के सही हकदार हैं ? आजादी के अग्रदूतों ने कल्पना भी नहीं की होगी कि आजादी के चंद दशकों में ही भारतीय गणतंत्र की यह दुर्दशा होगी , आज राष्ट्र और लोकहित पर निज हित हावी होता जा रहा है सत्ता और कुर्सी सर्वोपरि होती जा रही है , क्षेत्रवाद , जातिवाद , संप्रदायवाद , भेदभाव , राग - द्वेष , असमानता आदि कट्टरता की खाई लगातार चौड़ी और गहरी होती जा रही है राजनीति पर कूटनीति सवार हो गयी है भारत को आजाद कराने वाले क्रांतिकारियों का सपना लहूलुहान हो रहा है , इसकी सुधी और चिंता विरले को है , सभी अपनी धुन में मगन हैं इतिहास व समय गवाह है कि जिस देश में राष्ट्रीयता और इसके प्रतीक ध्वज के प्रति मान - सम्मान , समर्पण भाव कम हो जाता है , उस देश का विकास और प्रगति के पहिया में ब्रेक लगा जाता , जय हिन्द दोस्तों ,

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