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मीना मंच (Meena Manch) ●मीना मंच क्या है? ◆मीना मंच की संकल्पना किसलिए की गई है? ■ मीना मंच का क्या उद्देष्य है?

मीना मंच (Meena Manch)

●मीना मंच क्या है?
◆मीना मंच की संकल्पना किसलिए की गई है?
■ मीना मंच का क्या उद्देष्य है?
★मीना मंच का गठन किसलिए और कैसे किया जाता है?
●मीना मंच द्वारा विभिन्न गतिविधियों का संचालन कैसे होगा?
मीना मंच समिति में कमिटी में कितने सदस्य बन सकते हैं?

https://youtu.be/26iO7QHzWmg

◆मीना मंच की मुख्य पात्र मीना

मीना अपने माता-पिता, दादी, भाई राजू और बहिन रानी के साथ रहती है। मिट्ठू तोता उसका सबसे प्यारा दोस्त है। मीना की कहानियाँ बच्चों के जीवन के चारों तरफ घूूमती है। मीना की कहानियाँ बच्चों को बचपन से ही लड़की-लड़के की भूमिकाओं के बीच स्वस्थ और बेहतर संबंधों का रूप दिखाती हैं। मीना कहानियाँ किसी को उपेदश नहीं देतीं। इनका उदेद्श्य जागरूकता बढाना और संवाद शुरू करने के अवसर प्रदान करना है।
अब चर्चा करते है मीना मंच क्या है?


🔺मीना मंच (Meena Manch) 
विद्यालयों में बालिकाओं के लिए एक ऐसा मंच है जो उन्हें अपनी बात को खुलकर कहने के अवसर देता है। यह बालिकाओं को षिक्षा से जुड़ने, नियमित विद्यालय आने और लिंग आधारित भेदभावों के प्रति सजग रहने में प्रोत्साहित करता है। परोक्ष रूप से बालिकाओं में आत्मविष्वास का विकास, समस्याओं के समाधान ढूढ़ने का कौशल एवं नेत्तृव क्षमता जैसे मूलभूत जीवन कौशल का विकास करने का अवसर देता  है।

●मीना मंच के उद्देष्य –
बालिकाओं को आगे बढ़ने के लिए विद्यालयों में यथोचित एवं विशेष अवसर देना जिससे उनमें आत्मविष्वास बढ़े, जीवन कौशल का विकास हो, नेत्तृव क्षमता बढ़े और वे समाजिक मसलों पर अपने स्वयं के विचार रख सकें, और सबसे अधिक कि वे निर्बाध रूप से अपनी विद्यालयी षिक्षा पूरी कर सकें। मीना मंच के स्पष्ट उद्देष्य हैं –

"समस्त बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ना और उनका ठहराव बनाये रखना। बालिकाओं को सीखने, पढ़ने-लिखने एवं सह-शैक्षिक गतिविधियों से जोड़ने हेतु अधिकतम अवसर/सामूहिक सहयोग देना।"

"बालिकाओं की सुरक्षा पर चर्चा करना एवं आपसी सहयोग से समाधान करना।"

"जेण्डर भेदभाव एवं सामाजिक कुरीतियों पर समझ विकसित करना और बालिकाओं को इन मुद्दों पर अपने विचार अभिव्यक्त करने हेतु एक मंच प्रदान करना।'

"आत्मविष्वास एवं जीवन कौशल का विकास करने के अवसर निश्चित रूप से उपलब्ध कराना।"

"बालिकाओं में नेतृत्व तथा सहयोग की भावना विकसित करना। साथ ही किशोरावस्था संबंधी जिज्ञासाओं की अभिव्यक्ति एवं समाधान हेतु मंच देना।"

"बालिका शिक्षा एवं विकास के लिए समुदाय को जागरूक करना। सामुदायिक स्वास्थ्य, पोषण एवं स्वच्छता पर जानकारी एवं जागरूकता फैलाना।"

●विद्यालयों में मीना मंच का गठन कैसे?

बालिकाओं के मुद्दों को सरल एवं सहज रूप से समझने के लिए मीना नाम की लड़की का एक काल्पनिक चरित्र बनाया गया है। प्रत्येक वर्ग एवं समाज की बालिकाएं स्वयं का इससे जुड़ाव महसूस कर सकती है। मीना एक उत्साही और विचारवान किशोरी है जिसमें उमंग, उल्लास, सहानुभूति और सहायता का भाव है। वह समस्याओं और सामाजिक बाधाओं के विरुद्ध लड़ने का जज्बा रखती है और समस्या समाधान हेतु किसी से बातचीत करने में हिचकिचाती नहीं है।

●मीना मंच का गठन कैसे हो?

मीना मंच (Meena Manch) में विद्यालय कक्षा 6 से 8 तक के समस्त बालिकाएं एवं बालक सदस्य होंगे। अतः मीना मंच द्वारा आयोजित की जाने वाली चर्चाओं और गतिविधियों में समस्त बच्चे मंच के नेतृत्व में प्रतिभाग करेंगे। विद्यालय की  किसी एक  महिला शिक्षिका को इसके संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी, जो कि सुगमकर्ता कहलायेगी। सुगमकर्ता मीना मंच की गतिविधियों का संचालन स्वयं नहीं करेगी बल्कि बालिकाओं को मार्गदर्शन देगी जिससे बालिकाएं स्वयं के स्तर पर गतिविधियों का संचालन कर सकें। महिला अघ्यापिका की अनुपस्थिति में ही पुरूष अध्यापक को सुगमकर्ता का भार सौंपा जा सकता है। किन्तु पुरूष सुगमकर्ता होने की स्थिति में, प्रत्येक दो माह में आवश्यक रूप से किसी अध्यापिका/महिला अधिकारी/महिला कार्यकर्ता की विजिट विद्यालय में करानी होगी जिससे कि बालिकाएं विशेष मुद्दों पर खुलकर बात कर सकें। विद्यालय में मीना मंच बनाये जाने के बाद यह स्थायी मंच रहेगा जिसका संचालन प्रत्येक वर्ष होगा और संचालन की प्रक्रिया भी निर्देशानुसार यथावत रहेगी।

◆मीना मंच द्वारा विभिन्न गतिविधियों का संचालन एवं विभिन्न मुद्दों पर चर्चा को करवाने का कार्य बालिकाओं का एक छोटा समूह करेगा जो कि मीना मंच समिति कहलाएगा । मीना मंच समिति में विद्यालय में अध्ययनरत सक्रिय किशोरियों को सदस्य बनने हेतु प्रेरित किया जायेगा, जो अन्य बालिकाओं के लिए किसी न किसी रूप से सहायता कर रही हों जैसे-

★बहुत दूरी से विद्यालय पहुंचने वाली बालिका,

★नियमित विद्यालय में आने वाली बालिका,

★पढ़ाई के लिए घर वालों को समझा-बुझाकर विद्यालय आने वाली बालिका,
★अपनी सहेली को प्रेरित कर विद्यालय लाने वाली,
★उत्कृष्ट शिक्षा परिणाम वाली, ★गतिविधियों में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली बालिका,
★विभिन्न गतिविधियों मे हिस्सा लेने वाली बालिकाएं इत्यादि।

अब आते हैं मीना मंच समिति में कितने सदस्य होंगे और कौन कौन सदस्य बन सकते है उसके बारे में विस्तार से समझते हैं-

मीना मंच समिति में 20 बालिका और 6 बालक सदस्य होंगे:-

कक्षा = बालिका सदस्य = बालक सदस्य
कक्षा 8 = 05 बालिकाएं 02 बालक
कक्षा 7 = 05 बालिकाएं 02 बालक
कक्षा 6 = 05 बालिकाएं 02 बालक
कक्षा 5 = 03 बालिकाएं
कक्षा 4 = 02 बालिकाएं
कुल :- 20 बालिकाएं 06 बालक

इसमें ध्यान देने योग्य 2 बातें हैं:-
●(पहला)- यथासंभव मीना मंच समिति के सदस्य विद्यालय की अन्य समितियों के सदस्य भी हों ताकि समितियों के कार्यों में आपसी सहयोग एवं समन्वय बना रहे।

●(दूसरा)- यदि विद्यालय में 20 से कम बालिकाएं भी हैं तो विद्यालय की समस्त बालिकाओं और 6 बालकों को सम्मिलित कर मीना मंच का गठन किया जाएगा।

https://youtu.be/26iO7QHzWmg

■मीना मंच समिति के सदस्यों का चुनाव

उच्च प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक कक्षा से 5 बालिकाओं और 2 बालकों का चयन किया जायेगा। इन चयनित सदस्यों में से प्रत्येक कक्षा में एक प्रेरक (बालिका) और दो सह-प्रेरक (एक बालिका और एक बालक) का चुनाव किया जायेगा। प्राथमिक स्तर पर कक्षा 5 और कक्षा 4 से क्रमशः 3 और 2 बालिकाएं मीना मंच की सदस्या होगी और प्राथमिक कक्षाओं में नेतृत्व करेंगी। ये सभी प्रत्येक कक्षा हेतु प्रेरक का रोल निर्वाह करेंगी। मीना समिति के सदस्यों का चुनाव कक्षाध्यापक द्वारा कक्षा में ही बच्चों सहमति लेते हुए किया जा सकेगा। प्रेरक एवं सह-प्रेरक का चुनाव प्रत्येक वर्ष होगा। समिति के सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष के लिए होगा। मीना मंच समिति के अध्यक्ष एवं उपाध्याक्ष का चयन चयनित प्रेरक एवं सह-प्रेरक द्वारा विद्यालय में अध्ययनरत बालिकाओं में से किया जायेगा जो कि आवश्यक रूप से बालिका ही होगी।

◆प्रेरक – प्रत्येक कक्षा से समस्त बच्चों द्वारा चयनित एक बालिका।

◆सह-प्रेरक – प्रत्येक कक्षा से समस्त बच्चों द्वारा चयनित एक बालिका और एक बालक।

◆अध्यक्ष – समस्त प्रेरक एवं सह-प्रेरक द्वारा उच्च प्रा0 स्तर से चयनित कोई एक सक्रिय बालिका।

◆उपाध्यक्ष- समस्त प्रेरक एवं सह-प्रेरक द्वारा उच्च प्रा0 स्तर से चयनित कोई एक सक्रिय बालिका।

मीना (मंच) समिति – पद एवं कार्यदायित्व

मीना मंच समिति, मीना मंच के संचालन हेतु कार्यों का विभाजन करेगी जिससे कि सभी बालिकाओं को प्रतिनिधित्व करने और प्रतिभाग करने का समान अवसर प्राप्त हो।

◆प्रेरक  के कार्य◆
★कक्षा के समस्त बच्चों के साथ मीना मंच की कार्ययोजना अनुसार कार्य करना, चर्चाएं आयोजित करना। आवष्यकताओं को समिति में रखना।

★सह-प्रेरक को दायित्व सौंपना और समन्वय बनाकर बालिकाओं को विभिन्न गतिविधियों से जोड़े रखना।

★उपस्थिति चार्ट बनाना और अनियमित बालिका एवं बालक से सम्पर्क करना और कक्षाध्यापक को सचेत करना।

★लाइब्रेरी की किताबों, मीना किट की पुस्तकों एवं फ्लिप बुक को कक्षा में लाकर सभी को बारी-बारी वाचन कराना।

◆मीना मंच अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के कार्य

●समय-समय पर मंच की बैठकें आयोजित करना, बैठकों का संचालन करना।

●बैठकों के मुद्दे तय करना तथा

●कार्य योजना का प्रस्ताव देकर जिम्मेदारी बाँटना।

समिति अपनी पहली बैठक में आगामी तीन माह की कार्य योजना बनाएगा तथा रणनीति तय करना।

पहली बैठक में आगामी कार्यक्रमों तथा बैठकों की तिथि निर्धारित कर सभी को सूचित कर देना चाहिए।

गाँव की ड्राप आउट बालिकाओं एवं अनियमित आने वाली बालिकाओं की संपूर्ण जानकारी बैठकों में रखना।

बालिकाओं को विद्यालय लाने/नियमित उपस्थिति बनाने हेतु सभी की सहभागिता से रणनीति तय करना।

समय-समय पर बैठकों और चर्चाओं के अतिरिक्त विद्यालय एवं समुदाय में विभिन्न गतिविधियां/कार्यक्रम आयोजित करने हेतु योजना बनाना और जिम्मेदारी तय करना।

सभी बैठकों/आयोजनों की लिखित रिपोर्ट तैयार करना जिसमें परिणाम का उल्लेख हो। यह कार्य बालिकाओं की मदद से सुगमकर्ता करेगी।
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मीना मंच के कार्य एवं गतिविधियाँ


विद्यालय में मीना मंच के गठन के बाद, निहित उद्देष्यों के साथ यह मंच लगातार सक्रिय रहे, इस हेतु बालिकाओं के नेतृत्व में विद्यालय स्तर पर विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जायेंगी और सुगमकर्ता का दायित्व होगा कि वे बालिकाओं को प्रस्तावित गतिविधियां आयोजित करने में सहयोग एवं मार्गदर्शन देकर बालिकाओं को प्रोत्साहित करें और आत्मविष्वास बढ़ायें। अपने उद्देष्यों की प्राप्ति हेतु मीना मंच, सुगमकर्ता और मीना मंच समिति के मार्गदर्शन में संबंधित कार्य/गतिविधियों का संचालन करेगी। जो इस प्रकार है:-

●प्रवेशोत्सव आयोजित करना

मीना मंच समिति द्वारा 19 जून से 30 जून में अपने अपने मौहल्लों में शिक्षिकाओं के मार्गदर्शन में रैली निकालना, बैठक करना, पोस्टर बनाना व चिपकाना, आउटऑफ विद्यालय बालिकाओं हेतु घर-घर जाना नवनामांकित बालिकाओं का प्रवेश के प्रथम दिन तिलक कर स्वागत करना, आदि ।  

●उपस्थिति चार्ट बनाना

प्रत्येक माह प्रत्येक कक्ष में प्रेरक एवं सह -प्रेरक द्वारा चार्ट पर सभी बच्चों के नाम के सामने मासिक उपस्थिति को दर्शायी जायेगी। माह के अंतिम कार्य दिवस पर, उस माह में 20 दिन या उससे अधिक दिन विद्यालय आने वाले बच्चों को “हरा स्टार” देंगे। 15 से 19 दिन विद्यालय आने वाले बच्चों को “पीला स्टार” दें। कक्षाध्यापक “हरा एवं पीला स्टार” पाने वाले बच्चों के लिए कक्षा प्रार्थना सभा में तालियां बजवाये । महत्वपूर्ण है कि लगातार अनुपस्थित रहने वाली बालिकाओं को विद्यालय में नियमित रूप से उपस्थित रहने हेतु अभिभावकों से संपर्क कर अध्यापक/ मीना मंच के सदस्य प्रेरित करें।

●मीना वाचनालय का संचालन जो वर्षभर चलेगा।

सभी विद्यालयों में वाचनालय कक्ष बनाया जाए. जो कि पुस्तकालय का हिस्सा होगा। स्थान के आभाव में किसी कोने अथवा रैक में स्थापित किया जा सकता है। इसमें मीना किट में उपलब्ध कहानियों की पुस्तकें तथा विद्यालय में उपलब्ध अन्य पुस्तकों रखी जायें एवं मीना कार्नर विकसित किया जावे। वाचनालय का संचालन पूर्णतः मीना मंच के पास होगा। यह उन्हें एक समूह के रूप में निरंतर कार्य करने का अवसर देगा। वाचनालय के उपयोग हेतु नियम व प्रक्रिया ( समय और दिन) का निर्धारण सुगमकर्ता शिक्षिका की सलाह से मीना मंच के सदस्य करें । वाचनालय का उपयोग पुस्तकें पढ़ने हेतु किया जाये। यह गतिविधि बच्चों में पढ़ने की आदत के विकास हेतु है अतः विद्यालय की समय सारिणी में वाचनालय हेतु सप्ताह में कोई दो दिन कालांश निर्धारित किया जायेगा।

ताकि बालिकायें वाचनालय कक्ष में बैठकर कहानियां पढ़ सकें। शिक्षक इन कहानियों एवं उनपर होने वाली चर्चाओं को शिक्षण प्रक्रिया का हिस्सा भी बना सकते हैं। वाचनालय की पुस्तकों की सूचना एवं पुस्तक पढ़ने वाली बालिकाओं का विवरण संधारित किया जाए। रोटेशन पर मीना मंच समिति द्वारा नामित 6 सदस्य समिति – प्रति तिमाही हेतु दो सदस्य समिति को दायित्व ।  

●समूह में चर्चा जो मासिक आयोजित की जाती है।

मीना मंच समिति के सदस्य मीना कहानियों का पठन एवं क्रियात्मक गतिविधि समूह में (कक्षा में प्रतिमाह ) करेंगे। कहानी पठन से पूर्व सुनाने वाली बालिका मीना समिति के सदस्यों के साथ कहानी सुनाने का अभ्यास करें तथा कहानी से संबंधित प्रश्नों को समझ लें। एक कहानी सुनाने के लिए कम से कम 3-5 बालिकाएं तैयारी करें। कहानी सुनाने के लिए बालिकाओं रोटेशन के आधार पर किया जाए जिससे सभी बालिकाओं को पढ़ कर सुनाने का अवसर मिले। समूह में चर्चा मीना मंच की सदस्य बालिकाएं स्वतन्त्र रूप से करें इसमें शुरूआती कहानियों पर चर्चा के समय सुगमकर्ता सहयोग कर सकती है किन्तु एक-दो कहानियों के उपरान्त बालिकाओं को स्वयं कहानी का चयन तथा अन्य तैयारी हेतु प्रेरित किया जाये । मास्क का उपयोग कहानी को जीवंत रूपान्तरण करने एवं क्रियात्मक गतिविधि के लिए किया गया है। कहानियों पर होने वाली चर्चाओं एवं बालिकाओं द्वारा तैयार लिखित सामग्री को पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाया जाए। बालिकाओं की मौखिक अभिव्यक्ति को उनके आकलन में एक साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकता है।  

●कला जत्था नुक्कड़ नाटक/ शनिवारीय कार्यक्रम  कराना। यह त्रैमासिक और 24 सितम्बर मीना दिवस को आयोजित की जाती है।

मीना की कहानियों में बालिकाएं नाटक तैयार करे, उसकी स्क्रिप्ट लिखें, त्रैमासिक और यथासंभव मास्क के साथ नाटक प्रस्तुत करें। मीना की कहानियों को 24 सितम्बर अतिरिक्त अन्य मुद्दों पर भी प्रस्तुत किया जा सकता है। सत्र में ऐसे कार्यक्रम प्रत्येक पीटीएम/एसएमसी बैठक में किये जायें। इसके अतिरिक्त समुदाय में जाकर भी ऐसी प्रस्तुतियां साल में दो बार की जा सकेंगी। अथवा शनिवारिय कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।  

●कहानी वाचन व लेखन  {प्रतिमाह}

मीना मंच अपने प्रेरकों के माध्यम से प्रत्येक बाल- सभा शनिवारीय कार्यक्रम के दिन कहानी वाचन और लेखन की प्रतियोगिताएं आयोजित करेंगी जिसमें बालक-बालिकाएं स्वयं कहानियां बनायेगें और लाईब्रेरी की पुस्तकों से कहानियों का वाचन करवायेंगी।


◆वॉल पत्रिका बनाना  (मासिक)

मीना मंच की प्रेरक अपनी कक्षाओं का एक मासिक वॉल पत्रिका बनायेगी। जिसमें सभी बालिकाएं अपने अनुभवों को लिखेंगी और वह पूरे माह कक्षा में लगा रहेगा। उक्त मासिक वॉल पत्रिका के अलावा मीना मंच अपना समाचार पत्र भी बनायेगी। विद्यालय में होने वाली सभी शैक्षणिक एवं शैक्षणोत्तर गतिविधियों पर बालक एवं बालिकाओं दोनो के अनुभवो को एकत्रित कर मीना समाचार पत्र तैयार किया जायेगा । हर गतिविधि के साथ मीना मंच के सदस्य उससे संबंधित दस्तावेज इकट्ठे करेंगे तथा माह फरवरी इसको समेकित करके मीना समाचार पत्र बनायेंगे एवं रिकार्ड सुरक्षित रखे।

◆विद्यालयी प्रतियोगिताएं  
(वर्ष में दो बार) 24 सितम्बर व  24 जनवरी

मीना मंच विद्यालय के अन्य मंचों से समन्चय कर विभिन्न गतिविधियों के संचालन का नेतृत्व करेंगी जैसे खेलकूद प्रतियोगिताएं, प्रार्थना सभा एवं बाल सभा का संचालन। मीना मंच अनियमित आने वाले बच्चों / बालिकाओं के लिए विशेष खेलकूद गतिविधियों का आयोजन करेगी। 24 सितम्बर को मीना दिवस व 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन किया जायेगा।

■शैक्षणिक प्रतियोगिताएं (वर्ष मैं दो बार)

मीना मंच सत्र में दो बार बालिकाओं हेतु (कक्षा स्तर पर, बिद्यालयस्तर पर) छोटी प्रतियोगिताओं का आयोजन करेंगी । प्रतियोगिताएं भाषा, व्यावहारिक विज्ञान, गणित पर की जायेंगी।

◆वार्ताएं  (त्रैमासिक)

सुगमकर्ता समुदाय से विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली रोल मॉडल महिलाओं व पुरूषों को बच्चों से चर्चा करने हेतु आमंत्रित करेगी और पूरे विद्यालय के साथ अथवा समूह में चर्चा करवायेंगी।

◆शैक्षक भ्रमण  (वर्ष मैं दो बार)

बालिकाओं के व्यवहारिक ज्ञान को सर्वर्द्धित करने के उदेश्य से (वर्ष में बालिकाओं को महिला सुगमकर्ता आसपास के बैंक, डाकघर पुलिस बार) स्टेशन, सैकण्डरी विद्यालय, ग्राम पंचायत, ऑफिस, एनजीओ आदि का भ्रमण करवायेंगी ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े। यह गतिविधि पाठ्यक्रम का हिस्सा भी है।

★मीना दिवस  (वार्षिक)

मीना मंच की सदस्य 24 सितम्बर को विद्यालय में मीना दिवस का वार्षिक आयोजन करेंगे। मीना के पात्र की संकल्पना 24 सितम्बर को ही मूर्त रूप में आई थी। मीना दिवस को ब्लॉक स्तरीय मीना सम्मेलन के रूप में मनाया जायेगा। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं की सृजनशीलता, बौद्धिक क्षमता लेखन एवं कलात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करना है।

◆अपने काम का लेखा-जोखा (वार्षिक)

मीना मंच प्रेरक, मंच की प्रत्येक गतिविधि के उपरान्त सुगमकर्ता के वार्षिक सहयोग से कार्यवाही विवरण तैयार करेंगे। समस्त गतिविधियों का विवरण एक ही रजिस्टर में संधारित किया जाये। गतिविधियों को विस्तार  से ना लिख कर बिंदुवार ही लिखना है। समस्त गतिविधियों के आयोजन उपरान्त सत्रांत में मंच के सभी सदस्य मिलकर रजिस्टर में दर्ज किये गये कार्यों की समीक्षा करेंगे । इसी समीक्षा बैठक में दिये गये मूल्यांकन प्रपत्र एक व दो के आधार पर सभी मंच स्वमूल्यांकन भी कर सकते हैं।  


◆अभिभावक (दिवस पीटीए बैठक के दिन) त्रैमासिक

मीना मंच अध्यापिकाओं के साथ मिलकर पीटीए बैठक को सार्थक बनायेंगे। इसकी पूर्व तैयारी के तौर पर अनियमित बालिकाओं की सूची तैयार करेगें। बालिकाओं के सीखने में प्रगति को अभिभावकों के समझ सरल तरीके से रखने हेतु पोर्टफालियो तैयार करने में अध्यापिकाओं की मदद करेगें।   अभिभावक विद्यालय आयें इस हेतु अन्य बच्चों की मदद से आमंत्रण/निमंत्रण पत्र तैयार करना और उसे व्यक्तिगत पहुँचाने का कार्य हेतु पहल करेगा।  

●दादी-नानी दिवस  (जनवरी 24 जनवरी रास्ट्रीय बालिका दिवस)

मीना मंच के सदस्य विद्यालय में दादी, नानी दिवस आयोजित करेंगे जनवरी ताकि समाज की वरिष्ठ महिलाओं (जो कि बालिकाओं की दादी-नानी है) के ज्ञान एवं समझ का उपयोग बच्चों की नियमित उपस्थिति, शिक्षा की अनिवार्यता एवं महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किया जा सके। इसमें दादी-नानी शिक्षा के महत्व से संबंधित लोकगीत एवं कहानियां मीना मंच के सदस्यों को सुना सकती है।  

●किस्सागोई  (वर्ष में दो बार)  

समुदाय में कई लोग होते हैं जो सार्थक, प्रेरणास्पद किस्सों, कहानियों, बातों को सुनाने में माहिर होते हैं। ऐसे लोगों को किस्सागोई या कहानी कहने, बात कहने के लिए आंमत्रित करें जिसमें बच्चे एवं अभिभावक दोनो भाग लें।  

●मौहल्ला बैठकें  साल में दो बार [ सितंबर व जनवरी में अर्द्धवार्षिक परीक्षा के पूर्व एवं बाद में]

मीना मंच के सदस्यों के समूह अपने अपने क्षेत्रों में सुगमकर्ता के निर्देशन में मौहल्ला बैठकें आयोजित करेंगे। इन बैठकों में माता-पिता के साथ अनामांकित बच्चों एवं उन बच्चों को भी शामिल किया जायेगा, जिनके विद्यालय छोड़ने की आशंका हो। ये मौहल्ला बैठके प्रवेश के समय से एक माह पहले तथा उस समय से एक माह पहले जब आमतौर पर बच्चों की उपस्थिति अनियमित होने लगती है आयोजित की जानी चाहिए। उदाहरण के लिए फसल की कटाई के समय या त्यौहारो के समय। ये बैठके वर्ष में दो बार आयोजित की जायेगी- अर्द्धवार्षिक परीक्षा से पूर्व एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा के पश्चात ।  

●बड़ी बैठकें  (सितम्बर-नवम्बर)

मीना मंच के सदस्य बड़ी मौहल्ला बैठके सुगमकर्ता के साथ आयोजित करेंगे। इन बैठकों में गांव/बस्ती के सभी माता-पिता, दादा-दादी नाना-नानी, जनप्रतिनिधियों एवं बच्चों को बुलाकर ऐसे लोगों को भी इस बैठक में शामिल किया जा सकता है जो शिक्षा के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने में मदद कर सकते हों ।   इस अवसर पर सरकार द्वारा शिक्षा से संबंधित योजनाओं के बारे में जानकारी दी जायेगी। उल्लेखनीय है कि सितम्बर एवं नवम्बर माह में फसल कटाई के कारण अधिकाशं बच्चे विद्यालय से अनुपस्थित रहते हैं । अतः इन बैठकों का आयोजन विशेष रूप से उसी समय किया जाये।  

◆अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (प्रत्येक वर्ष 8 मार्च )

मीना मंच सहित विद्यालय में अध्ययनरत बालक-बालिकाओं के मध्य मीना मंच द्वारा सामाजिक बुराईयों के प्रति सचेत करने हेतु विद्यालय में नाटक मंचन, कहानी वाचन, प्रेरणास्पद रोल मॉडल महिलाओं पर चर्चा स्तर पर रोल मॉडल महिलाओं/ उच्च अध्ययनरत बालिकाओं, महिला अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, गृहणी डॉक्टर एवं अन्य महिला वक्ता को आमंत्रित करके वार्ता करवाई जाए ।

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