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देवशयनी एकादशी आज


देवशयनी एकादशी या आषाढ़ी एकादशी जून या जुलाई में होती है और भगवान विष्णु और भगवान शिव के भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है।

आमतौर पर भक्त उपवास रखते हैं और एकादशी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, रात भर भजन और प्रार्थना करते हैं, आनंदमय जीवन के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। कुछ लोग जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पाने की प्रार्थना भी करते हैं। इस त्योहार को अलग.अलग नामों से जाना जाता है जैसे पद्मा हरि शयनी महा एकादशी, देवपद और आषाढ़ी एकादशी।


इस बार  देवशयनी एकादशी एक जुलाई 2020 को यानि आज पड़ रही है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाएंगे। अगले चार महीने तक मांगलिक कार्य वर्जित हो जाएंगे। इसे चातुर्मास कहते हैं। भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन निद्रा से जागते हैं।


आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं। आषाढ़ के माह में दो एकादशी आती है। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। भगवान विष्णु ही प्रकृति के पालनहार हैं और उनकी दयादृष्टि से ही सृष्टि चल रही है। इसलिए जब श्रीहरि चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं तो उस दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। इसी समय से चातुर्मास की शुरुआत भी हो जाती है। इस समय कोई मांगलिक या भौतिक कार्य तो नहीं होता, लेकिन तपस्या अर्थात् साधना होती है। इसलिए इसे चातुर्मास भी कहा जाता है। साधना की दृष्टि से इसे बहुत ही शुभ माह माना जाता है।

देवशयनी एकादशी के बाद चार माह तक सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है। इसलिए कहा जाता है कि देवशयन हो गया है। शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर किए गए कार्यों के परिणाम भी बेहतर नहीं होते। चातुर्मास के दौरान कोई भी मांगलिक अथवा शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

देवशयनी एकादशी से साधुओं का भ्रमण भी बंद हो जाता है। वह एक जगह पर रुक कर प्रभु की साधना में लीन हो जाते हैं। चातुर्मास के दौरान सभी धाम ब्रज में आ जाते हैं। इसलिए इस दौरान ब्रज की यात्रा बहुत मंगलकारी होती है। यदि कोई व्यक्ति ब्रज की यात्रा करना चाहे तो इस दौरान कर सकता है।

चार माह बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जब भगवान विष्णु जागते हैं, तो उसे देवोत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसके साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

इस बार देवशयनी एकादशी एक जुलाई 2020 को यानि आज है। देवशयनी एकादशी के बाद चार माह तक सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है।

देवशयनी एकादशी व्रत करने और इस दिन भगवान श्रीहरि की विधिवत पूजन से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है। सारी प्राॅब्लम्स मिट जाती हैं। मन शुद्ध होता है, सभी विकार दूर हो जाते हैं। दुर्घटनाओं के योग टल जाते हैं। देवशयनी एकादशी के बाद शरीर और मन तक में नवीन स्फूर्ति का संचार हो जाता है।

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