निराशाओं से उठ कर देखो,
कितना सुंदर जीवन है,
हंसने को अधर तुम्हारे,
रोने को निश्छल मन है।
अगर नींद में उठकर देखो,
क
निराशाओं से उठ कर देखो,
कितना सुंदर जीवन है,
हंसने को अधर तुम्हारे,
रोने को निश्छल मन है।
अगर नींद में उठकर देखो,
कितना सुंदर सपना है,
भागो तो पग अपना है,
मानो तो जग अपना है।
आदित्य कुमार