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असम में जनगणना की तैयारी तेज, 1 जनवरी से प्रशासनिक सीमाएं होंगी स्थिर


राज्य में आगामी राष्ट्रीय जनगणना को सुचारु और सटीक रूप से संपन्न कराने के उद्देश्य से असम सरकार ने एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लिया है। इसके तहत 1 जनवरी से पूरे राज्य में सभी प्रशासनिक इकाइयों जिलों, उपमंडलों, राजस्व सर्किलों, नगरों और गांवों की सीमाएं स्थिर (फ्रीज) कर दी जाएंगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इसके बाद किसी भी प्रकार का प्रशासनिक पुनर्गठन, जैसे नए जिले या गांव बनाना, विलय, विभाजन या सीमा परिवर्तन की अनुमति नहीं होगी। ऐसे सभी परिवर्तन यदि प्रस्तावित हैं, तो उन्हें 31 दिसंबर तक पूरा करना अनिवार्य होगा। सूत्रों ने बताया कि जनगणना निदेशालय ने घर-घर सूचीकरण (हाउस लिस्टिंग) का कार्य अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच कराने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि, राज्य के मुख्य सचिव का मानना है कि यह प्रक्रिया 15 अगस्त के बाद शुरू की जानी चाहिए, क्योंकि इससे पहले विधानसभा चुनावों की तैयारियां और मानसून का मौसम रहेगा, जिससे जनगणना कार्य प्रभावित हो सकता है। अधिकारियों के अनुसार, पिछली जनगणना के बाद असम में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक बदलाव हुए हैं। कई गांव कस्बों में बदल गए हैं, जबकि कई कस्बों को नगर पालिका या नगर निगम का दर्जा मिला है। इसके अलावा नए प्रशासनिक इकाइयों का गठन भी हुआ है। इन सभी परिवर्तनों को अंतिम रूप देकर अधिसूचित करना आवश्यक है, ताकि जनगणना के आंकड़े पूरी तरह सटीक और विश्वसनीय हो सकें।जनगणना के पहले चरण में घर-घर सूचीकरण किया जाएगा, जिसके बाद गणना खंड (एन्यूमरेशन ब्लॉक) बनाए जाएंगे। सामान्यतः एक गणना खंड में लगभग 800 परिवार शामिल किए जाएंगे, हालांकि पहाड़ी और दूरदराज़ क्षेत्रों में यह संख्या कम रखी जाएगी। जनगणना नियमावली के अनुसार, इस कार्य में मुख्य रूप से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को गणनाकर्मी के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस बार जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यम से की जाएगी, जो भारत के इतिहास में पहली बार होगा। गणनाकर्मी मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से सीधे आंकड़े दर्ज करेंगे, जो तुरंत केंद्रीय डेटाबेस में अपलोड हो जाएंगे। इससे प्रक्रिया तेज होगी और समय की बचत होगी। पहले यह काम कागज़ पर किया जाता था, जिसे जिला और राज्य मुख्यालयों तक भेजने में काफी समय लगता था।डिजिटल जनगणना से पहले इसके परीक्षण के लिए डिब्रूगढ़, हैलाकांडी और कार्बी आंगलोंग के डोनकामोकाम में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया, जो सफल रहा। हालांकि, अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि दूरस्थ इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी कमजोर होने के कारण डेटा अपलोड में कुछ देरी हो सकती है, जिसके लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। प्रशासनिक सीमाओं को स्थिर करने का यह कदम जनगणना के दौरान किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति से बचने और राज्य के लिए सटीक, एकरूप और भरोसेमंद जनसंख्या आंकड़े जुटाने के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।यही आंकड़े आगे चलकर नीति निर्माण, संसाधनों के आवंटन और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का आधार बनेंगे।

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