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धौलपुर कड़ाके की ठंड में बेबस जरूरतमंद, धौलपुर के रैन बसेरों में बदहाल इंतजाम रेलवे स्टेशन से रैन बसेरों तक ठंड का कहर, यात्री और मजदूर बेहाल

धौलपुर जिले में पड़ रही कड़ाके की ठंड ने गरीब, बेसहारा, मजदूर और बाहर से आने वाले लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। रात के समय शीतलहर और घने कोहरे के बीच खुले आसमान तले जीवन गुजारने को मजबूर लोग राहत की तलाश में रैन बसेरों की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन वहां भी हालात संतोषजनक नहीं हैं।
नगर परिषद द्वारा शहर में दो रैन बसेरा संचालित किए जा रहे हैं। एक रैन बसेरा तीर्थराज मचकुंड रोड पर स्थित है, जबकि दूसरा धूलकोट रोड पर निहालगंज थाना के सामने संचालित किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान दोनों रैन बसेरों में अव्यवस्थाओं की तस्वीर सामने आई।
रैन बसेरों में रखे गए गद्दों पर धूल जमी हुई थी, कई तकिए गंदे और बदबूदार मिले। गद्दों पर चादरों की कोई व्यवस्था नहीं थी। मचकुंड रोड स्थित रैन बसेरा में मात्र दो लोग मौजूद मिले, लेकिन वहां रहने लायक बुनियादी सुविधाओं का अभाव नजर आया। गद्दे और रजाइयां फटी-पुरानी थीं। दोनों ही रैन बसेरों में अलाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी, जिससे ठंड से बचाव मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा न तो हीटर उपलब्ध थे और न ही नहाने के लिए गीजर जैसी कोई सुविधा नजर आई।
उधर, धौलपुर रेलवे स्टेशन पर भी ठंड का असर साफ दिखाई दिया। कोहरे के कारण ट्रेनों के विलंब से चलने की वजह से यात्री घंटों इंतजार करते रहे। कई यात्री प्लेटफॉर्म पर जमीन पर लेटे हुए नजर आए, जबकि कुछ लोग स्टेशन के बाहर दुकानों के सामने जल रहे अलाव के सहारे ठंड से राहत लेते दिखे।
यात्रियों का कहना है कि कड़ाके की ठंड के बावजूद नगर परिषद प्रशासन की ओर से न तो अस्थाई रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है और न ही सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने की कोई ठोस पहल की गई है। बस स्टैंड पर भी यात्रियों के लिए ठंड से बचाव की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है।
कुल मिलाकर, शीतलहर के इस दौर में जरूरतमंदों के लिए बनाई गई व्यवस्थाएं कागजों तक ही सीमित नजर आ रही हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

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