
ऊधमसिंह नगर में डीबीटी अटका, कड़ाके की ठंड में फटे जूते पहनकर स्कूल आने को मजबूर बच्चे
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आधार लिंक और खाते अपडेट न होने से जिले के करीब 50 फीसदी छात्रों को नहीं मिला जूते-बैग का पैसा, कई स्कूलों में 10 माह बाद भी इंतजार
ऊधमसिंह नगर जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कड़ाके की सर्दी से भी जूझना पड़ रहा है। जूते और स्कूल बैग के लिए भेजी गई डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की राशि अब तक बड़ी संख्या में बच्चों के खातों में नहीं पहुंच पाई है। आधार लिंक न होने या अभिभावकों के खाते अपडेट न होने के कारण बच्चे पुराने, फटे जूते या चप्पल पहनकर ही स्कूल आने को मजबूर हैं।
जानकारी के अनुसार जनपद में कक्षा एक से आठ तक के कुल 90,691 विद्यार्थियों के खातों में सितंबर माह में डीबीटी के माध्यम से करीब 3.45 करोड़ रुपये भेजे गए थे। प्रत्येक विद्यार्थी को बैग के लिए 165 रुपये और जूते के लिए 153 रुपये दिए गए। बावजूद इसके खाते लिंक न होने की वजह से लगभग 50 प्रतिशत बच्चों को इस धनराशि का लाभ नहीं मिल सका।
रुद्रपुर के स्कूलों की स्थिति चिंताजनक
रुद्रपुर के राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय खेड़ा में कक्षा एक से आठ तक कुल 239 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। मंगलवार को यहां 155 बच्चे ही उपस्थित मिले, जबकि प्रधानाध्यापक दीप्ती जोशी विद्यालय में गैरहाजिर रहीं। इस स्कूल के 111 बच्चों को 10 माह बीत जाने के बाद भी जूते और बैग के लिए भेजी गई राशि नहीं मिल सकी है।
इसी तरह राजकीय प्राथमिक विद्यालय रुद्रपुर में कुल 143 विद्यार्थियों में से 73 बच्चों को अब तक जूते और बैग का पैसा नहीं मिल पाया है। अभिभावकों का कहना है कि सर्दी के मौसम में बच्चों को बिना जूतों के स्कूल भेजना मजबूरी बन गई है।
शासन के आदेश की अनदेखी का आरोप
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गंगापुर में शासन के आदेशों की अनदेखी का मामला भी सामने आया है। आरोप है कि यहां प्रधानाध्यापक ने बच्चों के खातों में डीबीटी की राशि न भेजकर ग्राम प्रधान के साथ मिलकर आधे बच्चों को ही जूते और बैग खुद से खरीदकर बांट दिए। इससे आधे से अधिक बच्चे जूते-बैग से वंचित रह गए।
कक्षा तीन के छात्र करन ने बताया कि जिस दिन स्कूल में जूते और बैग बांटे गए, उस दिन वह अनुपस्थित था, इसलिए उसे आज तक जूते और बैग नहीं मिल सके।
विभाग का पक्ष
इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) हरेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा, “ऐसी कोई शिकायत हमारे पास नहीं आई है। विभाग की ओर से स्कूलों में डीबीटी के माध्यम से पैसा भेजा जा चुका है। यदि विद्यालय स्तर पर कोई समस्या है तो उसका समाधान कराया जाएगा।”
हालांकि जमीनी हकीकत यह है कि सर्दी के इस मौसम में भी सैकड़ों बच्चे जूते और बैग के इंतजार में स्कूल आ रहे हैं, जिससे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।