
नासिक में सियासी सरगर्मी तेज, मनपा चुनाव से पहले गठबंधन और दलबदल की राजनीति गरमाई
नासिक | प्रतिनिधि
नासिक में आने वाले महानगरपालिका चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल लगातार गरम होता जा रहा है. सत्ताधारी और विपक्षी दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियां तेज कर दी हैं. सीटों के गणित, संभावित गठबंधनों और नेताओं के दलबदल ने शहर की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है.
पतंग ने सभी निंद उडा दी है, मजलीस के उमेदवार नासिक की राजनीती मे किंग मेकर की भूमिका निभाने की तयारी मे है.
भाजपा, शिंदे गुट की शिवसेना और सहयोगी दलों की महायुति ने प्रचार की कमान कस ली है. वार्ड स्तर पर बैठकों का दौर चल रहा है और संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है. दूसरी ओर महाविकास आघाड़ी में शामिल दलों के बीच तालमेल को लेकर चर्चा जारी है. कांग्रेस, शिवसेना उद्धव गुट और राष्ट्रवादी के नेताओं की बैठकों से यह साफ है कि मुकाबला आसान नहीं होने वाला.
इसी बीच कुछ स्थानीय नेताओं के पार्टी बदलने से सियासी पारा और चढ़ गया है. पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी और नई एंट्री को लेकर अंदरूनी खींचतान भी सामने आ रही है. विपक्षी दल इसे अवसर के रूप में देख रहे हैं, जबकि सत्तापक्ष इसे संगठन विस्तार बता रहा है.
मनसे ने भी चुनावी मैदान में सक्रियता बढ़ा दी है. उम्मीदवार चयन को लेकर सख्ती बरती जा रही है और स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखकर प्रचार की योजना बनाई जा रही है. पानी, सड़क, ट्रैफिक और बेरोजगारी जैसे मुद्दे हर दल के एजेंडे में शामिल हैं.
प्रशासन की ओर से भी चुनावी तैयारियां तेज हैं. आचार संहिता के पालन, प्रचार खर्च और कानून व्यवस्था को लेकर निर्देश जारी किए गए हैं ताकि चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो सकें.
कुल मिलाकर नासिक की राजनीति इस वक्त निर्णायक मोड़ पर खड़ी है. जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आएगी, गठबंधन की तस्वीर और उम्मीदवारों की सूची साफ होती जाएगी. फिलहाल शहर की जनता की नजरें सियासी दांव-पेच पर टिकी हुई हैं.