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जातिवाद खत्म करने की ज़िम्मेदारी ब्राह्मणों पर नहीं, आरक्षण से पहचान बनाने वालों पर है:

✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से

विशेष टिप्पणी | सामाजिक विमर्श

भारत में जातिवाद खत्म करने का सबसे बड़ा नारा वही लोग लगाते हैं, जिनकी पूरी पहचान, राजनीति और रोज़गार जाति प्रमाण पत्र और आरक्षण पर टिका हुआ है। यह कहना अब जरूरी हो गया है कि—जातिवाद ब्राह्मण नहीं फैलाते, जातिवाद वही ज़िंदा रखते हैं जो हर अवसर पर अपनी जाति को आगे रखकर लाभ लेते हैं।
ब्राह्मण “श्रेष्ठ” का टैग किसने दिया?इतिहास गवाह है कि “ब्राह्मण श्रेष्ठ है” यह वाक्य ब्राह्मणों ने स्वयं अपने मुँह से कभी नहीं बोला।यह सम्मान उन्हें तब मिला जब—
• ब्राह्मणों ने शिक्षा, गणित, विज्ञान, चिकित्सा, आयुर्वेद, अस्त्र-शस्त्र और इंजीनियरिंग का ज्ञान विकसित किया
• गुरुकुलों में क्षत्रियों को युद्ध विद्या, वैश्यों को व्यापार कला और शूद्रों को तकनीकी व औषधीय ज्ञान निःशुल्क दिया
• स्वयं झोपड़ी में रहकर, भिक्षा पर जीवन बिताकर, तप और अध्ययन में शरीर खपाया
तब समाज के अन्य वर्गों ने स्वयं कहा—“ब्राह्मण श्रेष्ठ है”यह श्रेष्ठता जन्म से नहीं, बल्कि ज्ञान, त्याग और सेवा से आई।
आज के उदाहरण भी यही कहते हैं-जब सुंदर पिचाई गूगल के सीईओ बने, तो उन्होंने कभी नहीं कहा कि “मैं श्रेष्ठ हूँ।”दुनिया ने कहा—क्योंकि उन्होंने अपनी काबिलियत से गूगल को ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
ठीक वैसे ही, यदि इतिहास में ब्राह्मणों को श्रेष्ठ माना गया, तो उसके पीछे योगदान था, शोर नहीं।

सवाल उन लोगों से है जो दिन–रात ब्राह्मणों को गाली देते हैं
अगर ब्राह्मण श्रेष्ठ नहीं थे, तो—
• राजनीति में ब्राह्मण विरोध क्यों ज़रूरी है?
• सोशल मीडिया पर ब्राह्मण शब्द के बिना वीडियो क्यों नहीं चलता?
• ब्राह्मणों को गाली दिए बिना न नेता बन पाते हैं, न यूट्यूबर, न एक्टिविस्ट?

सच्चाई यह है कि— ब्राह्मण एक नाम नहीं, एक ऐसा ब्रांड बन चुका है जिससे लाखों लोग रोज़ी कमा रहे हैं।

जातिवाद खत्म करना है तो शुरुआत कहाँ से हो?
• जाति प्रमाण पत्र से पहचान बनाना बंद कीजिए
• हर बात में आरक्षण की ढाल छोड़िए
• योग्यता, परिश्रम और ज्ञान से आगे बढ़िए
जातिवाद तब खत्म होगा, जब जाति से फायदा उठाने वाले खुद जाति छोड़ेंगे।
अंत में स्पष्ट बात
ब्राह्मणों ने न कभी विद्रोह किया,न हथियार उठाए,न सत्ता छीनी—उन्होंने ज्ञान दिया, और समाज ने सम्मान दिया।अगर आज भी किसी को इससे जलन है, तो ब्राह्मणों को गाली देने के बजाय अपने पूर्वजों से सवाल करें कि उन्होंने क्यों माना था। क्योंकि सम्मान ज़बरदस्ती नहीं मिलता—योग्यता से मिलता है।

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