
अमरोहा की 16 साल की छात्रा अहाना की मौत वह अक्सर घर के खाने से ज़्यादा फास्ट फूड ही खाती थी पिज्जा बर्गर चाउमीन मोमोज
अमरोहा की 16 साल की छात्रा अहाना की मौत सिर्फ एक दुखद परिवारिक हादसा नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी बन गई है। क्लास 11 में पढ़ने वाली यह होनहार लड़की फास्ट फूड की इतनी ज्यादा शौकीन थी कि आखिरकार उसी आदत ने उसकी जान ले ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक लगातार चाऊमीन, मैगी, पिज्जा और बर्गर जैसी चीजें खाने से उसकी आंतों को गंभीर नुकसान पहुंचा और दिल्ली AIIMS में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
कैसे बिगड़ी तबीयत?
अहाना यूपी के अमरोहा नगर के मोहल्ला अफगानान में रहने वाले किसान मंसूर खान की सबसे छोटी बेटी थी। घरवालों ने कई बार उसे बाहर का जंक फूड कम करने के लिए समझाया, लेकिन आदत इतनी गहरी थी कि वह अक्सर घर के खाने से ज़्यादा फास्ट फूड ही खाती थी। सितंबर से उसे तेज पेट दर्द, उलझन और कमजोरी महसूस होने लगी, जो धीरे‑धीरे बढ़ता गया।
30 नवंबर को परिजन उसे मुरादाबाद के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए, जहां जांच में चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। डॉक्टरों ने बताया कि उसकी आंतें आपस में चिपक गई हैं और कई जगहों पर छेद हो चुके हैं, जिसकी वजह से अंदर इंफेक्शन फैल गया है। डॉक्टरों के अनुसार, लगातार तला‑भुना और प्रोसेस्ड फूड खाना उसकी आंतों के खराब होने की मुख्य वजह बना।
ऑपरेशन के बाद भी नहीं बच पाई जान
डॉक्टरों ने इमरजेंसी सर्जरी कर आंतों की हालत संभालने की कोशिश की, ऑपरेशन के बाद कुछ दिन सब नॉर्मल लगा तो उसे डिस्चार्ज भी कर दिया गया। लेकिन शरीर अंदर से बहुत कमजोर हो चुका था; घर लौटने के बाद उसकी सेहत फिर गिरने लगी, वह खाना नहीं खा पाती थी और लगातार थकान रहती थी। चार दिन पहले हालत फिर बिगड़ने पर परिवार उसे दिल्ली AIIMS लेकर गया, जहां विशेषज्ञों ने इलाज शुरू किया। शुरूआती दिनों में थोड़ी सुधार की खबर ने घरवालों को उम्मीद दी, लेकिन रविवार रात अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और हार्ट फेल होने से उसका निधन हो गया।
परिजनों के मुताबिक डॉक्टर्स ने स्पष्ट कहा कि अगर इतने वर्षों तक फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन न होता तो आंतें इस हद तक खराब शायद नहीं होतीं। होनहार बेटी की अचानक मौत से परिवार सदमे में है, पूरे इलाके में शोक और डर का माहौल है।
डॉक्टरों की चेतावनी क्या कहती है?
AIIMS और अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर मानते हैं कि अकेला एक फूड आइटम तुरंत आंतों में छेद नहीं करता, लेकिन लंबे समय तक हाई‑फैट, हाई‑सॉल्ट, मसालेदार और प्रोसेस्ड फूड खाने से आंतों की lining कमजोर हो जाती है, इंफ्लेमेशन बढ़ता है और गंभीर इन्फेक्शन या परफोरेशन (छेद) का खतरा बढ़ सकता है। किशोरों में यह खतरा और बढ़ जाता है, क्योंकि वे अक्सर पानी कम, फाइबर कम और जंक फूड ज्यादा लेते हैं।
डॉक्टर साफ चेतावनी दे रहे हैं कि फास्ट फूड को “कभी‑कभार ट्रीट” से ज्यादा नहीं बनने देना चाहिए; अगर यह रोज़मर्रा की डाइट का हिस्सा बन जाए तो मोटापा, डायबिटीज, फैटी लिवर, हार्ट डिजीज के साथ‑साथ, अहाना जैसा दुर्लभ लेकिन जानलेवा केस भी सामने आ सकता है।
पैरेंट्स और टीनएजर्स के लिए सबक
बच्चों की डाइट पर सिर्फ डांट नहीं, ध्यान भी ज़रूरी है—कितनी बार मैगी या पिज्जा बन रहा है, यह रिकॉर्ड रखना होगा।
लगातार पेट दर्द, उल्टी, वज़न घटना या ब्लीडिंग जैसे लक्षण दिखें तो घर के नुस्खों पर नहीं, तुरंत स्पेशलिस्ट डॉक्टर पर भरोसा करें।
स्कूलों‑कैंटीनों में हेल्दी ऑप्शन बढ़ाने और जंक फूड कम करने की चर्चा अब सिर्फ स्लोगन नहीं, ज़रूरत बन चुकी है।
अहाना की कहानी हमें याद दिलाती है कि स्वाद के लिए की गई लापरवाही कभी‑कभी जिंदगी की सबसे बड़ी कीमत मांग लेती है। फास्ट फूड से पूरी तरह दूरी मुश्किल हो सकती है, लेकिन इसे कंट्रोल में रखना अब हर परिवार की प्राथमिकता होनी चाहिए।