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मोटर बोट संचालन शुरू करने, टेंडर प्रथा खत्म करने और लाइसेंस जारी करने की मांग....

माघ मेले में मोटर बोट प्रतिबंध के खिलाफ नाविकों का ऊबाल
प्रयागराज। माघ मेले में संगम क्षेत्र में मोटर बोट संचालन पर मेला प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ अब नाविक मजदूर कल्याण समिति द्वारा संचालित मोटर बोट संचालक संघ खुलकर विरोध में उतर आया है। बुधवार को संघ के पदाधिकारियों ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के नारद सभागार में प्रेस वार्ता कर सरकार और मेला प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मोटर बोट संचालक संघ के महासचिव जितेंद्र निषाद ‘बजरंगी’ ने कहा कि माघ मेला, कुंभ और महाकुंभ जैसे आयोजनों में निषाद समाज सदियों से संगम की सेवा करता आ रहा है, लेकिन आज उसी समाज को उसके पारंपरिक रोजगार से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि संगम पर मोटर बोट संचालन तत्काल शुरू किया जाए और ई-टेंडर व टेंडर प्रणाली को पूरी तरह समाप्त किया जाए, क्योंकि टेंडर प्रथा से भ्रष्टाचार और माफिया को बढ़ावा मिलता है।
महासचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में मोटर बोट बिना किसी टेंडर व्यवस्था के संचालित हो रही हैं, फिर प्रयागराज में ही ऐसा भेदभाव क्यों। यदि सरकार मोटर बोट संचालकों को लाइसेंस जारी कर दे तो निषाद समाज के हजारों नाविकों को सीधे रोजगार मिलेगा और बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान व्यवस्था में संगम पर आने वाले श्रद्धालुओं से मनमाना पैसा वसूला जा रहा है, जिसका लाभ मजदूरों को नहीं मिल रहा।
संघ ने सुझाव दिया कि सरकार स्वयं किराया तय करे, उसका नियंत्रण अपने हाथ में रखे और लाइसेंस अथवा टोकन प्रणाली लागू करे, जिससे श्रद्धालुओं को राहत मिले और नाविकों को पूरी मजदूरी प्राप्त हो सके। इसके साथ ही गोताखोरों के कार्य को भी निषाद समाज को सौंपने की मांग की गई। बजरंगी ने कहा कि मेला क्षेत्र में संविदा पर रखे जाने वाले कई गोताखोर न तो प्रशिक्षित होते हैं और न ही अनुभवी, जबकि निषाद समाज के लोग पीढ़ियों से यह काम करते आ रहे हैं, फिर भी उन्हें नाममात्र की मजदूरी देकर हक से वंचित किया जा रहा है।
संघ पदाधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को उन्होंने मेला प्राधिकरण के खिलाफ धरना देकर एसडीएम के माध्यम से मेला अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा था, लेकिन अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। पत्रकारों के सवालों के जवाब में महासचिव ने निषाद समाज से जुड़े प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे समाज के नेता नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए काम कर रहे हैं।
मोटर बोट संचालक संघ ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे संवैधानिक तरीके से आंदोलन, धरना-प्रदर्शन और जनआंदोलन करेंगे। साथ ही जल्द ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इस समस्या के समाधान की मांग करेंगे। संघ ने यह भी कहा कि यदि सरकार ने निषाद समाज की आवाज नहीं सुनी तो आने वाले चुनावों में समाज अपनी ताकत का एहसास वोट के जरिए कराएगा।



नाविकों की इस भावनात्मक अपील के साथ यह सवाल अब और गहराता जा रहा है कि संगम की सेवा करने वाला निषाद समाज आखिर कब तक अपने ही हक के लिए संघर्ष करता है?

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