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400 मज़दूरी होए,180 दिन काम जी। नाम से कोई फ़र्क नहीं पड़ता, गांधी होए या,जी राम जी।।

होशियारपुर: 24दिसंबर,2025 (बूटा ठाकुर गढ़शंकर)
जब सरकारें बदलती हैं तो अपने कार्यकाल दौरान हर कार्य में अपना रंग चढ़ाने की कोशिश करती हैं। मुगल आए तो मुस्लिम स्मारक बना गए, अंग्रेज आए तो अपना ही रंग चढ़ा गए। बीते लगभग 50 से 60 साल के लंबे शासन के दौरान कांग्रेस ने भी एक ही परिवार के विभिन्न सदस्यों के नाम से चारों तरफ़ गांधी गांधी के लेबल चिपकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दरअसल यह रिवायत रियासतों के समय से ही प्रचलित है। मौजूदा दौर में भाजपा सरकार भी वही कर रही है। हिंदू पार्टी है हिंदुत्व का रंग पोतने की कोशिश तो करेगी ही।भविष्य में यदि कोई अन्य वर्ग बहुमत में होगा वह भी यकीनन इतिहास दोहराएगा।
पर एक खटक तो मन में ज़रूर उत्पन्न होती है कि महात्मा गांधी जी तो शासक नहीं थे वे तो फ्रीडम फाइटर थे, मगनरेगा स्कीम से उनका नाम हटा कर श्री राम जी का नाम जबरदस्ती घुसेड़ना अच्छा नहीं लगा। वहीं सरकार का मानना है कि महात्मा गांधी जी हमारे राष्ट्रपिता हैं उनका नाम तो भारतीय करंसी से लेकर अन्य कई महत्वपूर्ण स्थानों पर बड़ी ही प्रबलता से प्रचलित है।
खैर जो भी हो नाम बदलने से लाभार्थियों को तो कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला। पर फिरभी इस स्कीम में बदलाव लाना ही था तो हरियाणा की तर्ज पर मज़दूरी 400 रुपए और काम के दिनों को 180 तक बढ़ाना चाहिए था।
बतादें कि इस स्कीम में केन्द्र सरकार की भागीदारी 90 फ़ीसदी थी लेकिन अब यह 60:40 की रेशो पर चलेगी। इसे राज्य सरकारें परेशानी समझ रही हैं। इस लिए किसी को विरोध नाम बदलने से है तो किसी को बढ़ती हुई सिरदर्दी का। किसी ने भी जनता के फायदे में यह नहीं कहा कि मजदूरी और काम के दिनों में बढ़ोतरी की जाए।

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