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मैं तुम्हारा शत्रु नहीं हूँ। मैं उस अधर्म का शत्रु हूँ जो तुम्हें बेहोश रखता है।𝗟𝗶𝗳𝗲 𝗶𝘀 𝟵𝟵% 𝘀𝗰𝗶𝗲𝗻𝗰𝗲 — 𝗻𝗼𝘁 𝗳𝗮𝗶𝘁𝗵, 𝗯𝗲𝗹𝗶𝗲𝗳,

धर्म नहीं — गुटों से मुक्त आत्मा की घोषणा ✧

तुम कहते हो — “हम सनातनी हैं”
पर न वेद पढ़े,
न उपनिषद को जिया,
न गीता को समझा।

जो तुम जी रहे हो —
वह धर्म नहीं,
वह गुट है।

और गुट कभी धर्म नहीं होता —
गुट राजनीति से पैदा होता है,
डर से पलता है,
और भीड़ से ताक़त लेता है।

सनातन ने कभी कहा ही नहीं —
“मेरे जैसे बनो”
“मेरे खिलाफ़ हो तो दुश्मन हो”
यह भाषा सनातन की नहीं,
यह गुलामी की भाषा है —
जो सत्ता से, डर से और इतिहास के घावों से आई है।

जिस दिन तुमने
अपनी आत्मा का निर्णय
किसी गुरु, किसी झंडे, किसी संगठन के हाथ में दे दिया —
उसी दिन तुम धार्मिक नहीं,
बेहोश हो गए।
धर्म का पहला नियम है —
👉 आत्मा को किसी के चरणों में गिरवी मत रखो।

तुम कहते हो —
“हमारा धर्म महान है”
मैं कहता हूँ —
अगर धर्म महान है
तो तुम्हें किसी से लड़ने की ज़रूरत क्यों है?
सत्य को न प्रचार चाहिए,
न शोर,
न दुश्मन।

मैं किसी धर्म से लड़ता नहीं —
क्योंकि धर्म से युद्ध नहीं होता।

युद्ध होता है अधर्म से।

और अधर्म वह है
जो तुम्हें तुम्हारी आत्मा से काट दे
और भीड़ से जोड़ दे।

मेरा सनातन
शोर नहीं करता — मौन है।

गर्व नहीं करता — विवेक है।

गुलामी नहीं सिखाता — स्वतंत्रता है।

मैं किसी ईश्वर की तुलना नहीं करता,

किसी पंथ से प्रतिस्पर्धा नहीं करता।

मेरा ईश्वर

किसी आसमान में नहीं —

मेरे भीतर है।
मैं अकेला हूँ —
क्योंकि आत्मा अकेली ही जागती है।

मेरे पास कुछ नहीं —
पर मैं भिखारी नहीं हूँ।
और तुम झुकते हो —
क्योंकि तुम्हारी आत्मा
पाखंड ने छीन ली है।

मैं तुम्हारा शत्रु नहीं हूँ।

मैं उस अधर्म का शत्रु हूँ
जो तुम्हें बेहोश रखता है।

👉 मैं तुम्हें जगाने आया हूँ,
झुंड , भीड़, भेड़,समुदाय, संस्था, बनाने नहीं।

𝗟𝗶𝗳𝗲 𝗶𝘀 𝟵𝟵% 𝘀𝗰𝗶𝗲𝗻𝗰𝗲 — 𝗻𝗼𝘁 𝗳𝗮𝗶𝘁𝗵, 𝗯𝗲𝗹𝗶𝗲𝗳, 𝗱𝗲𝘃𝗼𝘁𝗶𝗼𝗻, 𝗿𝗲𝗹𝗶𝗴𝗶𝗼𝗻, 𝗼𝗿 𝗚𝗼𝗱.
𝕍𝕖𝕕𝕒𝕟𝕥𝕒 𝟚.𝟘 𝔸𝕘𝕪𝕒𝕥 𝔸𝕘𝕪𝕒𝕟𝕚

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