logo

“जब जीवन ही विरासत बन जाए: 110 वर्षीय आदरणीय दादी के हाथों मानवता के भविष्य के लिए वृक्षारोपण” : पीपल मैनडॉ सिंह की पहल।


📍बाँदा (उत्तर प्रदेश) खास खबर प्रकाशित -

भारत। मनुष्य अपनी स्मृति को पत्थर में नहीं,
धरती में बो देता है —
तब एक वृक्ष नहीं,
एक दर्शन जन्म लेता है।
भारत के पर्यावरण कार्यकर्ता एवं पीपल मैन ऑफ इंडिया डॉ. रघुराज प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश के बाँदा जनपद के हस्तम गाँव में एक ऐसी पहल को साकार किया, जो आज पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बन रही है। डॉ. रघुराज प्रताप सिंह ने अपने मित्र नन्द किशोर जी की 110 वर्षीय आदरणीय दादी श्रीमती सखिया जी के कर-कमलों द्वारा उनके घर जाकर
राष्ट्रीय वृक्ष – बरगद का पौधारोपण कराया।
यह केवल वृक्षारोपण नहीं था— यह जीवन रहते जीवन को प्रकृति को सौंपने का संस्कार था। डॉ. सिंह ने इस अवसर पर कहा—
“जब कोई अपने हाथों से
भविष्य की पीढ़ियों के लिए
छाया बो देता है,
तब वही सच्ची अमरता होती है।”
विश्व के लिए संदेश आज जब विश्व जलवायु संकट, पर्यावरण क्षरण और मानवीय संवेदनाओं के क्षय से जूझ रहा है, यह पहल यह सिखाती है कि— स्मृति को शोक नहीं, सेवा बनाया जा सकता है बुज़ुर्ग अनुभव ही नहीं, भविष्य की नींव होते हैं जीवन रहते प्रकृति से जुड़ना ही सबसे बड़ा योगदान है
बरगद—जो दीर्घायु, संरक्षण और निरंतरता का प्रतीक है अब आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देगा कि मनुष्य चला जाता है, पर उसके लगाए वृक्ष मानवता के साथ रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय आह्वान यह पहल संयुक्त राष्ट्र, COP सम्मेलनों और वैश्विक समाज के लिए एक स्पष्ट संदेश है—
“स्मारक मत बनाइए,
संस्कार रोपिए—
ताकि धरती भी हमें याद रखे।”
अतः हस्तम गाँव में लगाया गया यह वृक्ष
सिर्फ छाया नहीं देगा,
बल्कि यह बताएगा कि—
भारत आज भी दुनिया को
जीवन जीने का रास्ता सिखा सकता है।

मीडिया पंकज कुमार गुप्ता जालौन उत्तर प्रदेश

22
3513 views