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चित्रकूट में लिपिक पर फर्जी दस्तावेज से नौकरी का आरोप: जांच में सामने आए कूट रचित प्रमाण पत्र, विभाग में हड़कंप

चित्रकूट:- के डीपीआरओ कार्यालय में तैनात एक कनिष्ठ लिपिक पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने का गंभीर आरोप लगा है। शिकायत के बाद हुई जांच में आरोपी लिपिक के दस्तावेज कूटरचित पाए गए हैं, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है।
यह मामला डीपीआरओ कार्यालय का है, जहां वर्ष 2005 से कनिष्ठ लिपिक के पद पर सुरेंद्र कुमार चतुर्वेदी कार्यरत हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने दादा राम खिलावन चतुर्वेदी की जगह मृतक आश्रित के रूप में नौकरी हासिल की थी।

समाजसेवी सौमित्र पटेल ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि सुरेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने अपने मृत दादा का फर्जी गोदनामा बनाकर नियम विरुद्ध तरीके से मृतक आश्रित की नौकरी प्राप्त की है। पटेल ने मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की थी।

जिलाधिकारी ने इस शिकायत पर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को जांच के आदेश दिए थे। सीडीओ ने आगे की जांच जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) को सौंप दी।

डीडीओ द्वारा की गई जांच में आरोपी लिपिक सुरेंद्र कुमार चतुर्वेदी का गोदनामा प्रमाण पत्र कूटरचित पाया गया। इसके अतिरिक्त, उनकी हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की मार्कशीट में उनके पिता पूरण प्रसाद का नाम अंकित था, जबकि गोदनामा होने के बाद गोद लेने वाले व्यक्ति का नाम होना चाहिए था।

जांच में यह भी सामने आया कि गोदनामा में दर्ज जन्मतिथि के अनुसार, नौकरी ज्वाइन करते समय लिपिक की उम्र मात्र 15 वर्ष थी, जबकि नौकरी के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। इस प्रकार के कई साक्ष्य जांच में मिले हैं, जो आरोपी पर लगे आरोपों को सही साबित करते हैं।

जांच रिपोर्ट में लिपिक को नियम विरुद्ध नौकरी करने का दोषी ठहराया गया है। यह रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी और जिलाधिकारी को सौंप दी गई है। अधिकारियों ने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इनकार किया है, लेकिन आगे की जांच के बाद विभागीय कार्रवाई करने की बात कही है।

फिलहाल कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने की जांच को लेकर शिकायतकर्ता ने अधिकारियों से शिकायत कर आरोपी बाबू को बर्खास्त कर सरकारी धन की रिकवरी करने की मांग की है ।

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